माँ, भोलानाथ को पिता के द्वारा भोजन
कराए जाने पर संतुष्ट नहीं होती थी। ऐसा
क्यों था? *
पिता भली प्रकार से भोजन नहीं कराते थे।
माता का ह्दय उनके तरीके से संतुष्ट नहीं होता
था।
पिता भोला के आगे हार जाते थे, वह उससे
खाने के लिए जिद्द नहीं करते थे।
माता को इस विषय पर पिता पर भरोसा नहीं
था।
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इसका सही जवाब है,
माँ का हृदय उनके तरीके से संतुष्ट नहीं होता था।
स्पष्टीकरण :
‘माता का आंचल’ पाठ में भोलानाथ के पिता भोलानाथ को अपने साथ घुमाते, फिराते थे, सब जगह लेकर जाते थे। वह और भोलानाथ बेहद घुले-मिले थे। भोलानाथ हमेशा अपने पिता के साथ रहता था, लेकिन जब भी खाना खाने की बारी आती तो भोलानाथ की माँ को संतुष्टि नहीं होती और पिता द्वारा खाना खिलाने पर माँ को लगता कि उनके बेटे ने पेट भर के खाना नहीं खाया है। इसलिए वह अपने हाथ से भोलानाथ को खाना खिला दी थी। भोलानाथ की माँ का कहना था कि माँ के हाथ से ही खाने पर बच्चों का पेट भरता है।
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Explanation:
पिता भली प्रकार से भोजन नहीं कराते थे।
माता का ह्दय उनके तरीके से संतुष्ट नहीं होता
था।
पिता भोला के आगे हार जाते थे, वह उससे
खाने के लिए जिद्द नहीं करते थे।
माता को इस विषय पर पिता पर भरोसा नहीं
था।
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