Hindi, asked by sathishgattu051, 2 months ago

में 'भारत का राष्ट्रीय लाभ
डॉ. अंबेड्कर उच्च शिक्षा पूरी कर भारत लौट आए। यहाँ वडोदरा
महाराज के सैनिक सचिव पद पर नियुक्त हुए। बाद में मुंबई जाकर सीडेनहोम
कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए। किंतु कुछ लोगों की संकीर्ण
विचारधारा से दुखी होकर नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इतना होने पर भी
आपका आत्मबल कभी कम नहीं हुआ। आपका दृढ़ विश्वास था, 'मन के हारे
हार है, मन के जीते जीत।' सन् 1919 में लंदन जाकर अपने अथक परिश्रम से
एम.एससी., डी.एससी. और बैरिस्ट्री की उपाधि प्राप्त की।

कालत पारू कर दी।​

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Answered by swarupsarkar07818
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Answer:

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