म्बराक
एव
"कांकर पाथर जोरि के, मस्जिद लयि बनाय
तां चढ़ मुल्ला बाँग दे, क्या बहिरा हुआ खुदाय ॥" हिन्दी मे अर्थ बताओ
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इस साखी में कबीर दास जी ने मुसलमान संप्रदाय के अजान देने को आडंबर बताते हुए कहा है कि, मुस्लिम संप्रदाय के लोग कंकड़ पत्थर जोड़ कर एक ऊंचे भवन का निर्माण कर लेते हैं और मौलवी उस पर चढ़कर अजान देता है | कबीरदास जी कहते हैं कि, ईश्वर या खुदा बहरा नहीं है वह सर्वशक्तिमान है एवं हमारे मन में विराजमान है | वह हमारी भावनाओं को बिना शोर किए भी समझ लेता है | इसके लिए हमें दिखावा करने की कोई जरूरत नहीं है |
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