English, asked by 2009sejal, 10 months ago

मैं बड़े होकर क्या बनूंगा​

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Answered by ankitranjan29
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सभी के जीवन में कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है| उसकी अभिलाषा कुछ विशिष्ट करने की होती है| व्यक्ति कुछ बनकर अपने परिवार का भी पोषण करता है और समाज की सेवा भी| वैसे तो एक विद्यार्थी के समक्ष बहुत सारे क्षेत्र खुले है अपना करियर बनाने के लिए पर मैं प्रोफेसर बनना चाहती हूँ| इसके लिए मेरी योजना है नेट और पी एच डी करना| डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि एक इंजिनियर की भूल फाइलों में दब सकती है, भवन निर्माता की इमारत के नीचे पर एक शिक्षक की भूल सारा राष्ट्र भुगतता है| अत: एक शिक्षक को विद्यार्थियों को सच्चरित्र और ईमानदार होने की शिक्षा देनी चाहिए| कॉलेज जीवन में उन्मुक्तता का वातावरण रहता है| युवा नैतिक मूल्यों की अनदेखी करते है| वो अपने प्रोफेसर जनों का अपमान तक कर देते है| मैं अपने व्यक्तित्व और पाठन शैली को अत्यंत उन्नत बनाकर विद्यार्थियों की आदर्श बनना चाहती हूँ| मैं समय की पाबन्द रहकर सभी कक्षाएं नियमित लूंगी| सभी विद्यार्थियों को उपस्थिति व अध्ययन के लिए प्रेरित करूंगी| उनमे राष्ट्रभक्ति के गुण और नैतिकता का विकास और पोषण करूंगी| मैं ट्यूशन की कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाउंगी | इस प्रकार मैं एक प्रोफेसर बनने की अभिलाषा रखती हूँ|

4.4

Answered by ishmeetkaur24
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Explanation:

मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।

इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।

मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।

मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर चिकित्सक बनूँ और अपने चिकित्सा ज्ञान से उन सभी लोगों को लाभान्वित करूँ जो धन के अभाव में उचित चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं । मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूँ कि एक अच्छा चिकित्सक बनना आसान नहीं है ।

अच्छे विद्‌यालय का चयन, उसमें प्रवेश पाना तथा पढ़ाई में होने वाला खर्च आदि अनेक रुकावटें हैं । परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इन बाधाओं को पार कर सकूँगा । इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत का संकल्प लिया है । उचित मार्गदर्शन के लिए मैं अपने अध्यापक व अनुभवी छात्रों का सहयोग ले रहा हूँ ।

चिकित्सक बनने के बाद मैं भारत के उन गाँवों में जाना चाहता हूँ जहाँ पर अच्छे चिकित्सक का अभाव है अथवा जहाँ पर चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था नहीं है । में उन सभी लोगों का इलाज नि:शुल्क करना चाहता हूँ जो धन के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं । इसके अतिरिक्त मैं उनमें अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाना चाहता हूँ ।

वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, सफाई, स्वास्थ्य एवं संतुलित भोजन के महत्व को समझें, इसके लिए मैं व्यापक रूप से अपना योगदान देना चाहता हूँ । आजकल कुछ परंपरागत रोगों का इलाज तो आसानी से संभव है लेकिन उचित जानकारी का अभाव, रोग तीव्र होने पर ही इलाज के लिए तत्पर होना जैसी समस्याएँ अशिक्षितों एवं ग्रामीणों की प्रमुख समस्याएँ हैं ।

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