मांडु इस तथ्य को कैसे उजागर करता है कि मानव अपने आपको पर्यावरण के अनुरूप ढाल लेते हैं?
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मांडु इस तथ्य को कैसे उजागर करता है कि मानव अपने आपको पर्यावरण के अनुरूप ढाल लेते हैं?
उत्तर : मानव अपने आध को पर्यावरण के अनुरूप थल लेता है , यह मानव की मुख्य विशेषता है इस तथ्य की पुष्टि मध्य प्रदेश के मांडु नगर से भी हो जाती है| मांडु नगर का प्राकृतिक रूप से सुरक्षित होने के कारण आक्रमण से बचने के लिए किया गया था परंतु बाद में उस नगर का प्रयोग मुगल बादशाहों के द्वारा भोग विलास के लिए किया गया|
मांडु सरकारी , रियाशी और आनंददायक राजमहलों मंडपों मस्जिदों कृत्रिम जलाशयों , बाबलियों , लड़ाई से रक्षा के लिए बनाई गई पूर्णो ,फसलों आदि का मिलाजुला रूप था इस प्रकार इस नगर को भी बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार बनाया गया था| यहाँ तक की यह नगर प्राकृतिक परिवर्तनों के अनुरूप भी था|
इस के विशाल आकार और स्मारकीयता के बाबजूद के बाबजूद ये धवन प्रकृति की गोद मंडपों के रूप में बने थे , यहाँ वायु तथा प्रकाश की कोई कमी नहीं थी इसलिए इन भवनों में गर्मी नहीं थी इसलिए इन भवनों में गर्मी नहीं टिक पाती थी| मांडु नगर के यह गुण हो यह सिद्ध करते है की मानव अपने आप को पर्यावरण के अनुरूप ढाल लेता है|
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