Hindi, asked by sahithy16, 7 months ago

मेड की आत्मकथा लिखिए ​

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Answered by sjungwoolover
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Answer:

मैं पिछले पांच वर्षों से एक परिवार में एक घरेलू नौकरानी के रूप में सेवा कर रही हूं। एक घरेलू नौकरानी एक लड़की या महिला होती है जो अपने घर के सभी कामों में घर की मालकिन की मदद करती है। यह केवल भाग्य है जो मेरे जैसी नौकरानी को काम करने के लिए एक अच्छा घर पाने में मदद करता है और सबसे अच्छी मालकिन के साथ काम करने के लिए।

हालांकि यह केवल समृद्ध है जो घरेलू नौकरानियों को बनाए रखने के लिए खर्च कर सकते हैं, लेकिन सभी संपन्न समान नहीं हैं, कुछ अच्छे और दयालु हैं जबकि उनमें से ज्यादातर असभ्य और क्रूर हैं।

हालांकि, मैं इस मामले में बहुत खुशकिस्मत रहा हूं और मुझे भगवान ने बहुत ही अच्छे परिवार के साथ काम करने के लिए दिया है। मेरे गुरु के परिवार में मिस्टर और मिसेज सैनी उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बहुत समय पहले, लगभग आठ साल पहले, मेरी माँ इस परिवार में काम करती थीं और, मैं उनकी इकलौती संतान थी।

वे मेरी माँ के लिए भी बहुत अच्छे थे, लेकिन वह मेरे पिता द्वारा इतनी प्रताड़ित थी कि, कुछ साल पहले उनका सदमे से निधन हो गया और, इसके तुरंत बाद, मैंने भी अपने पिता को खो दिया। जब मैंने अपने माता-पिता दोनों को एक के बाद एक खो दिया, तो मैं लगभग छह साल का रहा होगा, मुझे सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप से याद है।

यह मेरे माता-पिता की मृत्यु के बाद था, श्रीमती सैनी ने मुझे अपनी माँ के स्थान पर रखा था। यहाँ अब, मैं पिछले पाँच वर्षों से काम कर रहा हूँ और, मुझे कहना होगा कि, मिस्टर एंड मिसेज़ सैनी और उनके बच्चों ने मुझे कभी अपने माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी, वे सभी बहुत अच्छे और दयालु हैं और मेरी देखभाल करते हैं ।

मेरी सेवा करने के लिए एक अच्छा घर है, रहने के लिए एक आरामदायक क्वार्टर, पहनने के लिए कपड़े और सब से ऊपर, एक स्कूल में पढ़ने के लिए। पिछले पांच वर्षों से, मेरा विश्वास करो, मैं पास के एक स्कूल में पढ़ रहा हूँ और अब में हूँ कक्षा। V. परिवार के बच्चे भी मेरी पढ़ाई और मेरे काम में मेरी मदद करते हैं, और उनके साथ, मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगता है कि मैं केवल उनके अलावा कोई और हूं।

बच्चे मेरे दोस्त और मार्गदर्शक हैं और अपने माता-पिता की तरह ही अद्भुत हैं।

Answered by BMSW
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मैं एक पेड़ हूं। मैं ईश्वर द्वारा इस प्रकृति को दिया गया एक अमूल्य वरदान हूं। मैं ही इस सम्पूर्ण जगत में घटित होने वाली समस्त प्राकृतिक घटनाओं का प्रमुख कारण हूँ। इस संसार के सभी जीव जंतुओं के जीवन का आधार मैं ही हूं। इस पृथ्वी पर सबसे पहले मेरा ही जन्म हुआ था।

अपने जन्म से पहले जब मैं पृथ्वी के भूगर्भ में एक बीज के रूप में सुप्तावस्था में पड़ा हुआ था, तब मैंने पृथ्वी के भूगर्भ में उपस्थित जल एवं खनिज तत्वों से अपना पोषण करके स्वयं का विकास किया और इस धरती के भूगर्भ से बाहर एक तने के रूप में आ गया।

मेरे अंदर हरे रंग का एक विशेष प्रकार का पदार्थ पाया जाता है, जिसे पर्णहरित कहते हैं। इस पर्णहरित की सहायता से मैं वायुमंडल एवं पृथ्वी के अंदर मौजूद कार्बनिक पदार्थों जैसे कि जल एवं कार्बन डाइ ऑक्साइड को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करके, एक विशेष विधि द्वारा अपने भोजन का निर्माण करता हूं।

इस विधि को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। क्योंकि प्रकाश के बिना इस विधि से मेरे भोजन का निर्माण संभव नहीं है। मैं किसी अन्य सजीव पर निर्भर न रह कर अपना भोजन स्वयं बनाता हूँ। इसीलिये मानव मुझे स्वपोषी सजीव की श्रेणी में रखता है।

मेरा जन्म तो इस सम्पूर्ण जगत के सभी जीवो के जीवन में खुशियां एवं उनके भरण पोषण के लिए हुआ है। मैं इस वायुमंडल की खतरनाक कॉर्बन डाई ऑक्साइड गैस को अपने अंदर ले कर उसका विघटन करके ऑक्सीजन गैस को वायुमंडल में छोड़ता हूँ।

जब मैं एक छोटा पौधा था तब मैं अपने आसपास के बड़े पेड़ो को देखकर ये सोचा करता था कि कब मैं इनकी तरह बड़ा पेड़ बन पाऊंगा और इनकी बड़ी बड़ी शाखाओ की तरह, मेरी भी शाखायें कब इस आसमान की ऊंचाइयों को छुयेगी।

समय बीतने के साथ ही मेरा भी विकास होता गया और धीरे धीरे मैं भी बड़ा हो गया। मैं भी अपनी युवावस्था को प्राप्त कर चुका था। तब मेरी भी शाखायें बड़ी हो गयी थी। और मेरी शाखायें हरी-हरी पत्तियों से ढ़क गयी थी। ये शाखाये अब आसमान छू रही थी। इन पर फल और फूल लग चुके थे। मैं भी अपने साथ के अन्य बड़े पेड़ो की तरह अब प्रकृति को हरियाली, और पंछियो को उनके रहने के लिए घर तथा मानव को छाया आदि देने लगा।

मेरी छोटी छोटी टहनियों और शाखाओ पर लगे हुए विभिन्न रंगों के फूलों को तोड़कर मानव को अपने घरों को सजाता हुआ तथा मंदिरो में ईश्वर को भी समर्पित करता देखकर मैं खुशी की अनुभूति करता हूँ।

हर सुबह जब शुद्ध एवं मन्द मन्द ठंडी हवाएँ, सूरज की पहली किरण के साथ मेरी शाखाओ पर लगी पत्तियों को स्पर्श करती और पंछी इन पर बैठ कर अपनी मधुर आवाज से इस वातावरण को मधुरिम बनाते तो मैं आनन्दित होकर झूम उठता हूँ।

प्रत्येक वर्ष बसंत ऋतु में, मैं अपनी शाखाओ पर लगी हुई सभी पुरानी पत्तियों को नीचे गिरा देता हूँ, जो मिट्टी में मिल कर मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। और इसके बाद फिर से मैं नयी नयी हरी पत्तियों से स्वयं को सुसज्जित करता हूँ।

Hope it helps...

---------- BM'S W

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