History, asked by ingalebhupen9309, 9 months ago

मीड के स्व के विकास के सिद्धांत की चर्चा कीजिए

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Answered by shishir303
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जॉर्ज मीड ने समाजीकरण का एक सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जिसमें मैं, मुझे और स्वः का विशेष महत्व है।

मीड के अनुसार स्व यानि आत्म न तो कोई वैज्ञानिक सावयव है और ना ही यह एक प्राणी शास्त्रीय इकाई है। बल्कि यह एक सामाजिक प्रक्रिया है। इस सामाजिक प्रक्रिया की उत्पत्ति सामाजिक अनुभवों और सामाजिक गतिविधियों से होती है। सामाजिक अंतः क्रिया, सामाजिक संचार और समूह प्रक्रियायें ही आत्म को शुरू करती हैं, जिसमें मनुष्य अपने सभी अनुभवों का संचय करता है। इस तरह एक व्यक्ति आत्म या स्व की अवधारणा का निर्माण महत्वपूर्ण अन्य के साथ अंतः क्रिया की प्रक्रिया के दौरान करता है।

आत्म का उद्गम और विकास दूसरों की भूमिका ग्रहण की क्षमता पर आश्रित होता है। मीड के अनुसार आत्म या स्व के विकास के तीन स्तर हैं, जो इस प्रकार हैं....

  1. अनुकरणात्मक स्तर
  2. खेल स्तर
  3. क्रीड़ा स्तर

अनुकरणत्मक स्तर में मनुष्य के बचपन से इसका आरंभ होता है, जिसमें बच्चा अपने माता-पिता, भाई-बहन और अन्य दूसरे लोगों के संपर्क में आता है और उनके व्यवहार की नकल करता है।

खेल स्तर में मनुष्य उन भूमिकाओं का निर्वहन करना सीखता है जो उसकी स्वयं की नहीं हैं। जैसे कि वो माता-पिता, भाई-बहन, अध्यापक, डॉक्टर आदि की भूमिका निभाता है।

कीड़ा स्तर वाली अवस्था में मनुष्य में आत्म का विकास होता है और वह सामान्यीकृत अन्य की भूमिका को ग्रहण करता ।है इस अवस्था में वह किसी एक व्यक्ति की मनोवृत्ति को ही नहीं बल्कि अनेक लोगों के मनवृत्तियों को जो उसके सामाजिक समूहों में सम्मिलित होती हैं एक साथ एक ही समय में धारण कर लेता है

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