History, asked by princeprasad9163, 8 months ago

मोडल एक्टिविटी तारक
History (इतिहास)
Class-IN
नीचे के पश्नों के उत्तर लिखिए
फ्रांसीसी क्रांति कैसे समान्तवादी व्यवस्था में पतन का कारण बना ?
'आतेक का राज' नामकरण की सार्थकता को पुष्टि कीजिए।
3. नीचे दिये गये प्रत्येक विषय/व्यक्ति के संबंध में एक-एक वाक्य लिखिए-
(क) प्राचीन व्यवस्था
(ख) लेटर-द-कैशे
(ग) साँकूलोग
(घ) रॉबस्पियर
उपयुक्त तथ्यों के आधार पर नीचे दिये गये विवरणों को पूरा कीजिए -
युद्ध
किनके बीच
अवधि
ट्रेफाल्गर युद्ध
परिणाम
लिपजिंग युद्ध
वाटरलू युद्ध​

Answers

Answered by archisharana1611
10

Answer:फ्रांसीसी क्रांति (फ्रेंच :  रेवोलुस्योँ फ़्राँसेज़ ; 1789-1799) फ्रांस के इतिहास की राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल एवं आमूल परिवर्तन की अवधि थी जो 1789 से 1799 तक चली। बाद में, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार द्वारा कुछ अंश तक इस क्रांति को आगे बढ़ाया। क्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रांति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ। इस क्रान्ति ने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी। इससे विश्व भर में निरपेक्ष राजतन्त्र का ह्रास होना शुरू हुआ, नये गणतन्त्र एव्ं उदार प्रजातन्त्र बने।

आधुनिक युग में जिन महापरिवर्तनों ने पाश्चात्य सभ्यता को हिला दिया उसमें फ्रांस की राज्यक्रांति सर्वाधिक नाटकीय और जटिल साबित हुई। इस क्रांति ने केवल फ्रांस को ही नहीं अपितु समस्त यूरोप के जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति को पूरे विश्व के इतिहास में मील का पत्थर कहा जाता है। इस क्रान्ति ने अन्य यूरोपीय देशों में भी स्वतन्त्रता की ललक कायम की और अन्य देश भी राजशाही से मुक्ति के लिए संघर्ष करने लगे। इसने यूरोपीय राष्ट्रों सहित एशियाई देशों में राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ वातावरण तैयार किया।

Explanation:क्रांति के कारण

राजनीतिक परिस्थितियाँ

फ्रांस में निरंकुश राजतंत्र था जो राजत्व के दैवी सिद्धान्त पर आधारित था। इसमें राजा को असीमित अधिकार प्राप्त थे और राजा स्वेच्छावादी था। लुई 14वें के शासनकाल में (1643-1715) निरंकुशता अपनी पराकाष्ठा पर थी। उसने कहा- "मैं ही राज्य हूँ"। वह अपनी इच्छानुसार कानून बनाता था। उसने शक्ति का अत्यधिक केन्द्रीयकरण राजतंत्र के पक्ष में कर दिया। कूटनीति और सैन्य कौशल से फ्रांस का विस्तार किया। इस तरह उसने राजतंत्र को गंभीर पेशा बनाया।

लुई 14वें ने जिस शासन व्यवस्था का केन्द्रीकरण किया था उसमें योग्य राजा का होना आवश्यक था किन्तु उसके उत्तराधिकारी लुई १५वां एवं लूई १६वाँ पूर्णतः अयोग्य थे। लुई 15वां (1715-1774) अत्यंत विलासी, अदूरदर्शी और निष्क्रिय शासक था। आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध एवं सप्तवर्षीय युद्ध में भाग लेकर देश की आर्थिक स्थिति को भारी क्षति पहुँचाई। इसके बावजूद भी वर्साय का महल विलासिता का केन्द्र बना रहा। उसने कहा कि मेरे बाद प्रलय होगी।

क्रांति की पूर्व संध्या पर लुई 16वें (1774 - 93) का शासक था। वह एक अकर्मण्य और अयोग्य शासक था। उसने भी स्वेच्छाचारित और निरंकुशता का प्रदर्शन किया। उसने कहा कि "यह चीज इसलिए कानूनी है कि यह मैं चाहता हूं।" अपने एक मंत्री के त्यागपत्र के समय उसने कहा कि-काश! मैं भी त्यागपत्र दे पाता। उसकी पत्नी मेरी एन्टोनिएट का उस पर अत्यधिक प्रभाव था। वह फिजूलखर्ची करती थी। उसे आम आदमी की परेशानियों की कोई समझ नहीं थी। एक बार जब लोगों का जुलूस रोटी की मांग कर रहा था तो उसने सलाह दी कि यदि रोटी उपलब्ध नहीं है तो लोग केक क्यों नहीं खाते।

Answered by dinbandhu02051978
1

म्म्ंंमबक्जब्ं

Explanation:

क्रान्ति का पतन

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