मेंढक में शीत निष्क्रियता पर टिप्पणी लिखिए।
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शीतनिष्क्रियता (Hibernatis)-मेंढक एक असमतापी जन्तु है अर्थात् इसके शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार घटताबढ़ता है। शीत ऋतु में जब वातावरण का तापमान बहुत कम हो जाता है। तो यह भूमि में 30-60 सेमी. की गहराई में चला जाता है, इस समय देह की सभी क्रियाएँ मंद हो जाती हैं। यह भोजन नहीं करता है तथा श्वसन नम त्वचा द्वारा होता है। इसे शीत निष्क्रियता कहते हैं। शीतकाल के अन्त में एवं बसंत के प्रारम्भ में तापमान बढ़ने पर यह पुनः सक्रिय हो जाता है।
Explanation:
शीतनिष्क्रियता (Hibernatis)-मेंढक एक असमतापी जन्तु है अर्थात् इसके शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार घटताबढ़ता है। शीत ऋतु में जब वातावरण का तापमान बहुत कम हो जाता है। तो यह भूमि में 30-60 सेमी. की गहराई में चला जाता है, इस समय देह की सभी क्रियाएँ मंद हो जाती हैं। यह भोजन नहीं करता है तथा श्वसन नम त्वचा द्वारा होता है। इसे शीत निष्क्रियता कहते हैं। शीतकाल के अन्त में एवं बसंत के प्रारम्भ में तापमान बढ़ने पर यह पुनः सक्रिय हो जाता है।