मांग के आवश्यक तत्वो को समझाइए।
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माँग का अर्थ किसी वस्तु को प्राप्त करने से है। कितुं अर्थशास्त्र में वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा मात्र को माँग नहीं कहते बल्कि अर्थशास्त्र का संबध एक निश्चित मूल्य व निश्चित समय से होता है। माँग के, साथ निश्चित मूल्य व निश्चित समय होता है। प्रो. मेयर्स - “किसी वस्तु की माँग उन मात्राओं की तालिका होती है। जिन्हें क्रेतागत एक निश्चित समय पर उसकी सभी संभावित मूल्यों पर खरीदने के लिये तैयार होते है। “
माँग के आवश्यक तत्व
माँग कहलाने के लिए निम्न तत्वों का होना आवश्यक है-
इच्छा - माँग कहलाने के लिये उपभोक्ता की इच्छा का होना आवश्यक है। अन्य इच्छा की उपस्थिति के बावजूद यदि उपभोक्ता उस वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा नहीं करता तो उसे माँग नहीं कहते।
साधन- माँग कहलाने के लिए मनुष्य की इच्छा के साथ पर्याप्त धन (साधन) का होना आवश्यक है। एक भिखारी कार खरीदने की इच्छा रख सकता है, परंतु साधन के अभाव में इस इच्छा को माँग संज्ञा नहीं दी जा सकती।
खर्च करने की तत्परता - माँग कहलाने के लिये मुनष्य के मन में इच्छा व उस इच्छा की पूर्ति के लिये पयार्प् त साधन के साथ-साथ उस धन को उस इच्छा की पूर्ति के लिए व्यय करने की तत्परता भी होनी चाहिए। जैसे- यदि एक कजं सू व्यक्ति कार खरीदने की इच्छा रखता है और उसके पास उसकी पूर्ति के लिए धन की कमी नहीं है, परतुं वह धन खर्च करने के लिए तैयार नहीं है तो इसे माँग नहीं कहेगें।
निश्चित मूल्य - माँग का एक महत्वपूर्ण तत्व निश्चित कीमत का होना है अर्थात् किसी उपभोक्ता के द्वारा माँगी जाने वाली वस्तु का संबंध यदि कीमत से नहीं किया गया तो उस स्थिति में मागँ का आशय पूर्ण नहीं होगा। उदाहरण के लिए, यदि यह कहा जाय कि 500 किलो गेहँू की माँग है, तो यह अपूर्ण हो। उसे 500 किलो गेहँू की माँग 3 रू. प्रति किलो की कीमत पर कहना उचित होगा।
निश्चित समय - प्रभावपूर्ण इच्छा, जिसके लिए मनुष्य के पास धन हो और वह उसे उसकी पूर्ति के लिए व्यय करने इच्छकु भी है और किसी निश्चित मूल्य से संबधित है, लेि कन यदि वह किसी निश्चित समय से संबधित नहीं है तो माँग का अर्थ पूर्ण नहीं होगा। इस प्रकार, किसी वस्तु की माँग, वह मात्रा है जो किसी निश्चित कीमत पर, निश्चित समय के लिए माँगी जाती है।
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मांग के आवश्यक तत्व
इच्छा- मांग कहलाने के लिये उपभोक्ता की इच्छा का होना आवश्यक है। अन्य इच्छा की उपस्थिति के बावजूद यदि उपभोक्ता उस वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा नहीं करता तो उसे मांग कहते। साधन-मांग कहलाने के लिये मनुष्य की इच्छा के साथ पर्याप्त धन (साधन) का होना आवश्यक है।