Economy, asked by kapilvishwakarma101, 5 months ago

मांग को असर करने वाले परिवारों को समझाइए?​

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Answered by reachvarunpalepu
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Answer:

pls tell in english

Explanation:

Answered by rhegzp
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Answer:

एक निश्चित मूल्य पर समय की निश्चित इकाई के भीतर क्रय की जानेवाली वस्तु का परिमाण ही माँग (Demand) है।मांग एक आर्थिक शब्द है जो ऐसे उत्पादों या सेवाओं की संख्या को संदर्भित करता है जो उपभोक्ता किसी भी मूल्य स्तर पर खरीदना चाहते हैं। माँग, मूल्य और वस्तु की मात्रा का वह संबंध व्यक्त करती है, जो उस भाव पर समय की निश्चित इकाई में क्रय की जाए। इसलिये माँग मूल्याश्रित है; साथ ही वह किसी विशेष समय की होती है। इसी मूल्याश्रय के कारण माँग एवं आवश्यकता एक ही तत्व नहीं है, भले ही माँग का मूलाधार आवश्यकता हो।

माँग और आपूर्ति द्वारा क़ीमत निर्धारण

मांग का कानून ---

मांग का कानून मांग की गई मात्रा और कीमत के बीच संबंध को नियंत्रित करता है यह आर्थिक सिद्धांत कुछ ऐसी चीज़ों का वर्णन करता है जो आप पहले से ही सहजता से जानते हैं, यदि मूल्य बढ़ता है, तो लोग कम खरीदते हैं रिवर्स निश्चित रूप से सही है, अगर कीमतें कम हो जाती हैं, तो लोग ज्यादा खरीदते हैं। लेकिन, कीमत केवल निर्धारण कारक नहीं है इसलिए, मांग का कानून केवल तभी सत्य है अगर अन्य सभी निर्धारकों में परिवर्तन नहीं होता है। अर्थशास्त्र में, इसे कैटरिस पैराबिज़ कहा जाता है इसलिए, मांग का कानून औपचारिक रूप से कहता है कि, ceteris paribus , एक अच्छी या सेवा के लिए मांग की जाने वाली मात्रा मूल्य से व्युत्पन्न है।

माँग का नियम, उपयोगिता ह्रास सिद्धांत (Law of diminishing utility) पर आधृत है। यदि सभी कुछ यथावत् रहे तो वस्तु की माँग उसके मूल्य के घटने के साथ-साथ बढ़ती जाएगी और वस्तु के मूल्य में वृद्धि के साथ उसकी माँग घटती जाएगी। यही माँग का नियम है। बाजार में माँग की सूची की सहायता से माँग की रेखा बनाई जाती है जो श्रीमती राबिंस के अनुसार 'इस बात का प्रतिनिधित्व करती है कि एक बाजार में किसी विशेष समय पर भिन्न भिन्न मूल्यों पर वस्तु की कितनी मात्रा खरीदी जाए।

माँग का सिद्धांत सार्वभौम नहीं है। निम्नांकित चार अवस्थाओं में वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाने पर भी वस्तुओं की माँग में वृद्धि होती है :

(क) भविष्य में वस्तु का पूर्ति में कमी होने की संभावना की स्थिति में,

(ख) शान शौकत के प्रदर्शन के लिये,

(ग) जीवनयापन के लिये वस्तु की अनिवार्यता के कारण तथा

(घ) अज्ञानता के कारण।

माँग निम्नांकित तत्वों से प्रभावित होती है --

(१) आय में परिवर्तन,

(२) जनसंख्या में परिवर्तन

(३) द्रव्य की मात्रा में परिवर्तन,

(४) धन के वितरण में परिवर्तन,

(५) व्यापार की स्थिति में परिवर्तन,

(६) अन्य प्रतिस्पर्द्धी वस्तुओं के मूल्यों में परिवर्तन

(७) रुचि तथा फैशन में परिवर्तन और

(८) ऋतुपरिवर्तन।

मूल्यपरिवर्तन के कारण होनेवाली माँग की मात्रा में परिवर्तन उपभोक्ता की आय, वस्तु के मूल्यस्तर, आय के अंश का संबंद्ध वस्तुश् पर विनियोजन, वस्तु के प्रयोगों की मात्रा, स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धि, वस्तु के उपभोग की स्थगन शक्ति, समाज में संपत्ति के वितरण, समाज के आर्थिक स्तर, संयुक्त माँग (Joint Demand) की स्थिति तथा समय के प्रभाव पर निर्भर करती है।

माँग की लोच का अध्ययन उत्पादकों, राजस्व विभाग, एकाधिकारी उत्पादकों तथा संयुक्त उत्पादन (Joint Production) के लिये विशेष महत्वपूर्ण है। माँग की लोच निकालने का प्रो॰ फ्लक्स का निम्नलिखित सिद्धांत विशेष व्यवहृत होता है:

माँग की लोच = माँग में प्रतिशत वृद्धि /मूल्य में प्रतिशत वृद्धि

किसी वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उस वस्तु की माँगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप को ही माँग की लोच कहा जाता है।

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