मागाका
सोचिए (मूल्यपरक प्रश्न)
अकाल, बाढ़, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? प्रत्येक नागरिक
और समाज के योगदान की चर्चा कीजिए।
खिए
गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
मैंने कहा-"बाबा, अब नहीं रहा जाता। कहीं से रोटी का टुकड़ा ला दो। पत्ते नहीं खाए जाते।" बाबा की आँखों में
आँसू आ गए। भर्राई हुई आवाज़ में बोले "जाओ, कहीं से माँग लाओ। शायद कोई तरस खाकर तुम्हें रोटी का एक
टुकड़ा दे दे। मैं भूख से मर रहा था, रोटी माँगने निकल पड़ा। मेरा विचार था, अकाल शायद गरीबों के यहाँ ही है।
मगर बाहर निकला तो सभी को गरीब पाया। उदास सब थे, खुश कोई भी न था। मैं बहुत देर तक इधर उधर माँगता
फिरा, मगर किसी ने रोटी न दी। मैं निराश होकर घर को लौटा, पर पाँव मन मन भर भारी हो रहे थे।
क. रोटी कौन, किससे और क्यों माँग रहा था?
ख. बच्चा ऐसा क्यों सोचता था कि अकाल गरीबों के यहाँ ही है ?
ग. 'मन मन भर भारी होना' का क्या अर्थ है?
संक्षेप में उत्तर लिखिए-
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