मांगो का दौरा syong से क्या अभिप्राय है
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सहयोग (collaboration) का अर्थ दो या अधिक व्यक्तियों या संस्थाओं का मिलकर काम करना है। सहयोग की प्रक्रिया में ज्ञान का बारंबार तथा सभी दिशाओं में आदान-प्रदान होता है। यह एक समान लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उठाया गया बुद्धि विषयक कार्य है। यह जरूरी नहीं है कि सहयोग के लिये नेतृत्व की आवश्यक होता है। परन्तु यह आवश्यकता नहीं है कि नेतृत्व का भी सहयोग नहीं होता है। सहयोग एक दुसरे के माध्यम से होता है। फिर भी आपसी सहयोग का होना बहुत जरुरी होता है। एक दुसरे को आगे बढाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि किसी भी संस्था के सहयोग करने से आपसी सहयोग कि संभावना बहुत अधिक होती है। फिर भी पारंपरिक या आर्थिक सहयोग का होना बहुत मायने रखता है। सहयोग कि भावना हर मनुष्य में होना चाहिए। और मैं दुसरो के सहयोग कर सकुँ। एक दुसरे के सहयोग से देश हो या मनुष्य कि जीवन में बढता रहता है। सहयोग भी कई प्रकार के होते हैं। आर्थिक हो या तकनिकी सहयोग इसके आदि और भी हो सकते हैं। परन्तु सहयोग एक विशिष्ट कार्य के रूप में होता है। तब पर भी घर हो या बाहर किसी जगह पर सहयोग का आदान-प्रदान किया जा सकता है। परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि रुपया से ही सहयोग किया जा सकता है। जीवन में मनुष्य का सहयोग एक कर्तत्व हि नहीं बल्कि मनुष्य की जीवन शैली में सहयोग का होना जरुरी है। सहयोग की कोई सीमा निर्धारित नहीं होता है जो कभी भी किसी व्यक्ति का सहयोग किसका मिल सके। तब पर भी अपने को एक सामान्य की भाँति जीवन में मनुष्य की सहयोग करना चाहिए। किसी संस्था हो या धर्म स्थान को आप सहयोग कर सकते हैं। चाहे हिन्दु की धर्म स्थान हो या मुस्लिम की किसी भी धर्म स्थान या संस्था या सोसाइटी में अपना सहयोग कर सकते हैं। किसी भी देश के नेता दुसरे देश जाते हैं तो वह एक दुसरे को आपसी सहयोग की भावना बनाता है। और दोनों देशों की आपस में सहयोग करता देखा जाता है। तब पर भी दोनों देश के बिच आपसी सहयोग का होना जरुरी होता है। सहयोग किसी भी क्षेत्र में आप दे सकते हैं। आर्थिक हो या तकनीकी एवं अन्य क्षेत्रों में आप सहयोग कर सकते हैं। सहयोग का मतलब होता है किसी भी प्रकार का हो सकता है। विकास हो या ऊर्जा या परमाणु और तकनीक आदि में सहयोग हो सकता है। और किसी भी देश के साथ एक दुसरे के लिए आप किसी भी क्षेत्र में आप सहयोग करने के लिए तैयार हो जाते हैं। क्योंकि सहयोग का अर्थ होता है। एक दुसरे का जब तक किसी भी देश दुसरे देश से सहयोग नहीं करते हैं। तब तक आगे नहीं बढ सकता है। और किसी भी देश चाहता है कि किसी भी देश से सहयोग बना रहे। तभी भी विकास हो सकता है। चाहे नेता हो या साधारण व्यक्ति कोई भी व्यक्ति चाहते हैं कि सहयोग बना रहे। और भारत कि बात है। तो भारत के लिए एक महत्वपुर्ण बात होता है कि किसी भी देश के लिए सहयोग बना होना। जिवन में किसी से भी सहयोग हो सकता है। परन्तु यह कहनाजरुरी नहीं है। कब किसका सहयोग कब मिल जायेगा। क्योंकि कोई किसी को नहीं जानते हैं कि किसका सहयोग किसको मिलेगा। और हर आदमी चाहते हैं कि मुझसे जितना हो सके सहयोग मैं करने के लिए तैयार रहता हुँ। सहयोग हर आदमी की भावना होना चाहिए। कि मैं सहयोग कर सकुँ। क्योंकि जीवन में क्या लेकर आये हैं। यही आदमी का एक मौका मिलता है कि मैं दुसरे का सहयोग कर सकुँ। चाहे अपना हो या पराया किसी को आप सहयोग कर सकते हैं। इसमें किसी पे सहयोग करने के लिये दबाब नहीं बनाया जाता है।