मंगाल मानव और मशीन का समन्वय कब और कैसे संभव हो
सकता है।
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वैज्ञानिक युग के उभार के दौर में यह उम्मीद दशकों पहले जाहिर की गयी थी कि भविष्य में तकनीक ऐसे दौर में पहुंच जायेगी, जब इनसान के ज्यादातर काम अंगुलियों के छूने भर से हो जायेंगे. कंप्यूटर, मोबाइल और एटीएम आदि के उपयोगों को देखें, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) हमें उस दौर की आेर ले जाता दिख भी रहा है.
हालांकि, आम लोगों के बीच इससे जुड़ी कई भ्रांतियां भी प्रचलित हैं, जिनकी असलियत कुछ और है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी दस प्रमुख धारणाओं और उनकी असलियत समेत इससे जुड़े
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अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत संसार का चौथा ऐसा देश है, जिसके पास अंतरिक्ष की खोज, उसके उपयोग और वहां अपने यान भेजने का अच्छा अनुभव है. भारत ने 2008 के दौरान चंद्रमा की कक्षा में ‘चंद्रयान-1’ भेजकर पहली बार यह सफलता हासिल की थी. वहीं 2014 में भारत ने मंगल ग्रह की कक्षा में मंगलयान भेजकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. भारत अब 2022 में गगनयान परियोजना के तहत अंतरिक्ष में मानव भेजने की तैयारी में है.
हाल-फिलहाल की बात करें तो तीन जनवरी को चीन ने ‘चांग’ए4’ नाम का एक रोवर (एक रोबोटिक मशीन जो चांद की सतह पर घूम सकती और कुछ सीमाओं के साथ वहां प्रयोग भी कर सकती है) चंद्रमा की उस सतह पर उतारा है जो पृथ्वी से दिखाई नहीं पड़ती. चीन यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का अकेला देश है. कुल मिलाकर अमेरिका, रूस, यूरोप और भारत के साथ-साथ कुछ और गिनेचुने देश अंतरिक्ष की इस दौड़ में शामिल हैं. और यह दौड़ है चंद्रमा-मंगल पर मौजूद खनिज पदार्थों या वहां के संसाधनों को हासिल करने की ताकि मनुष्य जाति अपना अस्तित्व बचाने के साथ-साथ सभ्यता का और विकास कर सके.