मृगाश्चरन्ति ka sandhi viched
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सँधि विच्छेद : मृगाश्चरन्ति = मृगाः + चरन्ति। चापि = च + अपि । हो कर, भार स्वरूप। ... हिन्दी अनुवाद : जिन मनुष्यों के पास न विद्या, न तपस्या, न दान, न सदाचरण, न गुण और न ही धर्म है, वे व्यक्ति (सही अर्थों में) पशु ही हैं जो भार स्वरूप होकर धरती पर मनुष्य रूप में घूमते रहते हैं।
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आशा है कि इससे सहायता
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खादन्नपि=_________+_________
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