मुगलों की अभिजात वर्ग की कोई पांच विशेषताएं लिखिए
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उत्तर :
1. मुगल अभिजात वर्ग की चारित्रिक विशेषताएँ एंव सम्राट के साथ संबंध:मुगल राज्य का महत्त्वपूर्ण स्तंभ इसके अधिकारीयों का दल था जिसे इतिहासकार सामूहिक रूप से अभिजात वर्ग कहते है l अभिजात वर्ग में भर्ती विभिन्न नृ-जातीय तथा धार्मिक समूहों से होती थी l मुगलों के अधिकारी वर्ग को गुलदस्ते के रूप में वर्णित किया जाता था जो वफादारी से बादशाह के साथ जुड़े रहते थे l साम्राज्य के निर्माण के आरंभिक चरण से ही तूरानी और ईरानी अभिजात अकबर की शाही सेवा में उपस्थित थे l इनमे से कुछ हुमायूँ के साथ भारत चले आय थे कुछ अन्य बाद में मुगल दरबार में आये थे l
2. राजपूतों एंव भारतीय मुसलमानों का प्रवेश : 1560 से आगे भारतीय मूल के दो शासकीय व भारतीय मूल के दो समूहों राजपूतों व भारतीय मुसलमानों ने शाही सेवा में प्रवेश किया l इनमे नियुक्त होने वाला प्रथम व्यक्ति एक राजपूती मुखिया अंबेर का राजा था जिसकी पुत्री से अकबर का विवाह हुआ था l शिक्षा और लेखाशास्त्र की ओर झुकाव वालेहिंदूजातियों के सदस्यों को भी पदोन्नत किया जाता था l
3. जहाँगीर के काल : के दौरान ईरानियों को उच्च पद हासिल हुए जहाँगीर के राजनैतिक रूप से प्रभावशाली रानी नूरजहाँ ईरानी थी l औरंगजेब ने राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया l
4. मनसबदारी प्रथा और अभिजात वर्ग : सभी सरकारी अधिकारीयों के दर्जे और पदों में दो तरह के संख्या-विषयक ओहदे थे : ‘जात’ शाही पदानुक्रम में अधिकारी के पद और वेतन का सूचक था ‘सवार’ यह सूचित करता था क उससे सेवा में कितने घुड़सवार रखना अपेक्षित था l सत्रहवीं शताब्दी में 1,000 या उससे उपर जात वाले मनसबदार अभिजात कहेगए l
5. अभिजातों के विभिन्न कार्य : सैन्य अभियानों में ये अभिजात अपनी सेनाओं के साथ भाग लेते थे तथा प्रांतों में वे साम्राज्य के अधिकारीयों के रूप में भी कार्य करते थे l प्रत्येक सैन्य कमांडर घुड़सवारों को भर्ती करता था, उन्हें हथियारों आदि से लैस करता था और उन्हें प्रशिक्षण देता था l घुड़सवारी फौज मुगल का अपरिहार्य अंग थी जो की शाही निशान से दागे गए घोड़ों का प्रयोग करती थी l