मुगलों के अधीन राजस्व मूल्यांकन के तरीके
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पोलज – जिस पर हर वर्ष खेती होती हो।
पोलज – जिस पर हर वर्ष खेती होती हो।परती – जब भूमि पर बुआई न करके उसे फिर से उर्वरता प्राप्त करने के लिए बिना बोये छोङ दिया जाता था तो वह परती कहलाती थी।
पोलज – जिस पर हर वर्ष खेती होती हो।परती – जब भूमि पर बुआई न करके उसे फिर से उर्वरता प्राप्त करने के लिए बिना बोये छोङ दिया जाता था तो वह परती कहलाती थी।चाचर – जिसे तीन-चार वर्षों तक बिना बोये छोङा जाता था।
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