मुगलकालीन धार्मिक जीवन की विवेचना कीजिए
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मुगलकालीन धार्मिक जीवन की विवेचना कीजिए
मुगलकाल के सम्राज्य में धर्म और राज्य का घनिष्ठ संबंध था| मुगल बादशाहों में औरंगजेब ने धार्मिक कट्टरता की नीति नहीं अपनाई | औरंगजेब ने औरंगजेब जैसे शासकों ने हिन्दू तथा अन्य धर्मो के मन्दिर तथा मूर्तियां निर्दयतापूर्वक नष्ट कर डाली थीं । मह्दबी आंदोलन , शिया सुननी वर्ग , दिन ए इलाही , सूफी वर्ग यह सब प्रमुख थे | इस्लाम धर्म के बहुत अनुयायी थे , जो पहले हिन्दू थे | हिन्दू लोगों को भी जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए विवश किया गया| उन्होंने हिन्दू मूर्तियाँ , मूर्तियों को बड़ी ही बेरहमी से नष्ट कर डाला | हिन्दू शिष्यों पर भी अत्याचार किए |
अकबर ने दीन ए इलाही, नवीन धर्म का प्रतिपादन किया । अकबर ने बहुत से सामाजिक काम भी किए |
रामानुज, कबीर, रामानन्द, हिन्दू सन्तों के कारण इस्लाम धर्म की कट्टरता कम हुई| सिक्ख धर्म का उदय हुआ, जिसमें गुरा रामदास, अगद, अमरदास, तेगबहादुर, गुरु गोविन्द सिंह भी हुए । गुरु अर्जुन देव ने अमृतसर सरोवर में हरमन्दर साहब की स्थापना की।