Hindi, asked by geniusguy5222, 11 days ago

मैं गरीबो की सेवा करना मेरा कर्त्िव्य मानता हूँक्ोकी यह मेरेपररवार की वसख हैI

( उपरोक्त वाक् का भेद पहचावनए )​

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Answered by gyaneshwarsingh882
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Explanation:

अगले दस साल तक चीन को चलाने वाले नेताओं के नामों की घोषणा पिछले महीने हो गई. उन्हें विरासत में ऐसी अर्थव्यवस्था मिली है जो सालाना सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही है, लेकिन अमीर-गरीब की खाई पाटना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है.

पिछले तीन दशकों के दौरान चीन में 40 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला गया है, और कुछ लोगों को तो बहुत फायदा हुआ है. लेकिन इससे असमानता भी बहुत बढ़ी है.

चीन के सबसे गरीब प्रांत कुईचोऊ के एक गांव में रहने वाले 70 वर्षीय लु चिखुआन इस असमानता को यूं बचान करते हैं, "मैंने टीवी पर देखा है कि अमीर कैसे अच्छे घरों में रहते हैं और फैंसी कारें चलाते हैं. मैं भी ऐसी जिंदगी का सपना देखता हूं, लेकिन मैं जानता हूं कि मैं तो बस सब्जियां उगा सकता हूं और गाय व सूअर पाल सकता हूं."

चीन और खास कर उसके तटीय शहरों में आर्थिक वृद्धि और उसकी चमकदमक लू से बहुत दूर है.

अमीरी-गरीबी की खाई

लु ता ई भी उन दस करोड़ चीनी ग्रामीणों में हैं जो गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बसर कर रहे हैं. गांव में रह कर ही वो जैसे जैसे अपनी गुजर बसर कर रहे हैं.

वो कहते हैं, "मैंने शहर देखे हैं, वहां लोगों को रोजाना फैंसी रेस्त्राओं में खाना खाते देखा है. वे लोग अमीर है. मेरी जिंदगी का उनसे कोई मुकाबला ही नहीं है."

चीन की आर्थिक वृद्धि का फायदा सब लोगों को नहीं पहुंचा है. इस समस्या से चीन से नए नेतृत्व को निपटना है. गरीब और अमीर लोगों के बीच फासला लगातार बढ़ रहा है.

ग्राणीण इलाकों से निकल कर राजधानी बीजिंग में जाएं तो वो एक अलग ही देश नजर आता है. वहां महंगे डिजाइनर बुटीक हैं जो चीन के नए शहरी धनाढ्यों को लुभाते हैं.

चीन में करोड़पतियों की तादात लाखों में है. कुछ लोग तो बहुत ही अमीर हैं. वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्त में आते हैं. वो इतने महंगे कपड़े पहनते हैं कि गांव में रह कर लु ता ई पूरी जिंदगी में भी इतना नहीं कमा पाएंगे.

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