मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपनी इस कविता में ग्रामीण संस्कृति एवं गांव की प्राकृतिक सुंदरता का बड़ा ही मनमोहक वर्णन किया है। कवि ने यहाँ मेघों के आने की तुलना सज-धज कर आए मेहमान से की है। जिस तरह, गांव में दामाद के आने पर लोगों के मन में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है, ठीक उसी तरह, भीषण गर्मी के बाद वर्षा के मेघ गांव में आने पर लोग बेहद उत्साहित और खुश हो जाते हैं। इस तरह कवि ने अपनी कविता में, आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का बड़ा ही रोचक वर्णन किया है।
जब मेघ आते हैं, तो हवा चलने के कारण धूल उड़ने लगती है, नदी के जल में उथल-पुथल होने लगती है। आसमान में बिजली कड़कती है। सारे वृक्ष झुक जाते हैं। कवि ने इन सब घटनाओं की तुलना दामाद के आने पर घर तथा गांव में होने वाली तैयारियों के साथ की है। जैसे – जीजा की सालियाँ उनके पीछे-पीछे चलती हैं और औरतें उन्हें दरवाजे के पीछे से देखती हैं और बड़े-बुजुर्ग उनका आदर सत्कार करते हैं।