मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के
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Megh Aye Line by Line Explanation
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।
मेघ आए भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा-ऋतू के आने पर गांव में दिखाई देने वाले उत्साह का चित्रण किया है। कवि ने यहाँ बादल का मानवीकरण करके उसे एक दामाद (शहर से आये अतिथि) के रूप में दिखाया है। जिस प्रकार, कोई दामाद बड़ा ही सज-धज कर एवं बन-ठन कर अपने ससुराल जाता है, ठीक उसी प्रकार, मेघ भी बड़े बन-ठन कर और सुन्दर वेशभूषा धारण कर के आये हैं। जैसे, किसी मेहमान (दामाद) के आने का संदेश, गांव के बच्चे एवं उनकी सालियाँ आगे-आगे दौड़ कर पूरे गांव में फैला देते हैं, ठीक उसी तरह, हवा उनके आगे-आगे नाचती हुई पूरे गांव को यह सूचना देने लगी है कि गाँव में मेघ यानि बादल रूपी मेहमान आये हैं। यह सूचना पाकर गांव के सभी लोग अपने खिड़की-दरवाजे खोलकर उसे देखने एवं उसे निहारने के लिए घरों से बड़ी बेताबी से झांक रहे हैं।
इसका अर्थ यह है कि हर वर्ष हम वर्षा ऋतू का बहुत ही बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं। इसके आने पर सारा आकाश बादलों से ढक जाता है और सौंधी-सौंधी हवाएं चलने लगती हैं और सभी लोग घर से निकल कर वर्षा ऋतु का आनंद लेने लगते हैं।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
मेघ आए भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा ऋतू के आने पर प्रकृति में आने वाले बदलावों का वर्णन किया है और उसका बहुत ही सुंदर ढंग से मानवीय-करण किया है। कवि कहते हैं कि आसमान में बादल छाने के साथ आंधी आने पर धूल ऐसे उड़ने लगती है, मानो गांव की औरतें घाघरा उठाए दौड़ रही हों। साथ ही, हवा के चलने के कारण पेड़ ऐसे झुके हुए प्रतीत होते हैं, मानो वे अपनी गर्दन उचकाकर मेहमान को देखने की कोशिश कर रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ, नदी रूपी औरतें ठिठक कर, अपने घूँघट सरकाए हुए तिरछी नज़रों से मेहमान को देख रही हैं।
इसका अर्थ यह है कि जब वर्षा होने वाली होती है, तो पहले थोड़ी तेज़ हवा या आंधी चलने लगती है। जिसके कारण रास्ते में पड़ी धूल उड़ने लगती है एवं हवा के वेग से वृक्ष झुक जाते हैं। इस अवस्था में नदी का पानी मानो ठहर-सा जाता है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है।
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