'मेघ आए' कविता के आधार पर "क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की भाव - नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।
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