'मेघ आए' कविता में मेघों को बन ठन के, सँवर कर आने की बात आपरी दृष्टि में कहाँ तक ठीक है? स्पष्ट कीजिए।
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मेघ आए कविता में मेघों को बन ठन के , संवर के आने की बात एकदम सही है क्यूंकि मेघो को दूल्हे के रूप में देखा गया है और जब दूल्हा अपने ससुराल जाता है तो सज संवर के ही जाता है | मेघों के सज संवर के आने की बात इसलिए बिल्कुल सही है |
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