Hindi, asked by DevduttNair3712, 10 months ago

मेघ आये के बारे में संवाद लेखन

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Answered by simranjeetsimranjeet
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Answer:

मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के

आगे-आगे नाचती गाती बयार चली

दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं गली गली

पाहुन ज्यो आये हों गाँव में शहर के

मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के

जब प्रचंड गर्मी के बाद काले बादल आसमान पर छाने लगते हैं तो हर कोई बड़ी खुशी से उसका स्वागत करता है। इस कविता में मेघ के स्वागत की तुलना दामाद के स्वागत से की गई है। हमारे यहाँ हर जगह दामाद की बड़ी मान मर्यादा होती है। खासकर गांवों में तो जैसे पूरा गांव ही दामाद के स्वागत में जुट जाता है। मेघ किसी जमाई की तरह सज संवर कर आया है। उसके स्वागत में आगे-आगे नाचती गाती हुई हवा चल रही है, ठीक उसी तरह जैसे गांव की सालियाँ किसी जमाई के आने के समय करती हैं। लोग दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर उसकी एक झलक देखने को बेताब हैं।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये

आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये

बांकी चितवन उठा, नदी ठिठकी घूंघट सरके

मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।

जब मानसून में तेज हवा चलती है तो पेड़ झुक जाते हैं और ऐसा लगता है जैसे वे गरदन उचका कर मेघ रूपी पाहुन को देख रहे हैं। आंधी चल रही है और धूल ऐसे भाग रही है जैसे कोई सुंदरी अपना घाघरा उठाये हुए भाग रही हो। नदी ठिठक कर अपना घूंघट सरका रही है और अपनी बांकी नजर से मेघ को निहार रही है।

बूढ़े पीपल ने बढ़कर आगे जुहार की

बरस बाद सुधि लीन्ही’ –

बोली अकुलाई लता ओट हो किवाड़ की

हरसाया ताल लाये पानी परात भर के

मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।

पीपल के पेड़ प्राय: बहुत पुराने होते हैं, इसलिए यहाँ उसे बूढ़ा पीपल कहा गया है। बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर मेघ को प्रणाम कर रहा है। लताएँ ऐसे किवाड़ की ओट में चिपक गई हैं जैसे व्याकुल होकर पूछ रही हों कि इस जमाई ने बहुत दिनों बाद उनकी सुधि ली हो। तालाब खुश होकर अपने विशाल परात में पानी भरकर लाया है। कई जगह मेहमान के आने पर उसके पाँव परात में धोने का रिवाज है। रामायण में केवट ने राम के पाँव धोए थे तब उन्हें अपनी नाव पर चढ़ाया था।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी

क्षमा करो गांठ खुल गई अब भरम की

बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढ़रके

मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।

बादल क्षितिज की अटारी पर चढ़ गया है। अटारी बालकनी का देशज रूप है। मेघ को अटारी पर देखकर बिजली खुशी से चमक रही है जैसे कह रही हो उसे पहले जो आशंका थी कि मेघ नहीं आयेंगे वो अब समाप्त हो चुकी है। आखिर में बादल ऐसे बरसने लगते हैं जैसे दो प्रेमी लम्बी जुदाई के बाद मिलकर आंसुओं की धार बहा रहे हैं।

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