मेघ की आत्मकक्षा लीखिए
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बादल पानी की छोटी बूंदों और बर्फ के क्रिस्टल का संघटन होता है। महासागरों और नदियों का जल भाप बनकर आसमान में उड़ता है। सूर्य की अत्यधिक गर्मी के कारण जल भाप में बदल जाता है। यह भापित जल धूल के कणो के साथ मिलकर बादल का रूप ले लेता है। बादलों में जल की छोटी छोटी बूंदे होती है।
बारिश के बादलों को काली घटाए भी कहते है। सूर्य का प्रकाश भी इन घने बादलों के पार नही जा पाता है। जब बादल आसमान को अपनी घटाओं से ढक लेते है, तब मौसम हल्का अंधकारमय हो जाता है। बादल अलग अलग रंगों के होते है। ये काले, लाल, भूरे और सफेद रंग के हो सकते है। जब बादलों पर सूर्य की सीधी रोशनी पड़ती है, तब बादल का रंग सफेद होता है। बारिश के बादल हल्के या गहरे काले होते है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बादलों का रंग लाल होता है।
बादल मुख्यतः चार प्रकार के होते है। पहला प्रकार “सिरस बादल” का होता है। इस प्रकार के बादल आसमान में काफी ऊंचाई पर होते है। ये बर्फ के क्रिस्टल से बनते है। दूसरा प्रकार “क्युमुलस बादलों” का होता है। ये बादल आसमान में काफी कम ऊंचाई पर होते है। तीसरा प्रकार “स्ट्रेट्स बादल” का होता है। ये बादल काफी नीचे होते है। चौथा और अंतिम प्रकार “निम्बो स्ट्रेट्स” बादलों का होता है। ये बादल वर्षा के होते है और काले या भूरे रंग के होते है।
बादल वर्षा के जल को महासागरों से धरती के विभिन्न हिस्सों तक ले जाते है। जहा मर्जी होती है, वहाँ बरसते है। जमीन से बादलों को देखने पर ये छोटे से प्रतीत होते है लेकिन वास्तव में ये आकार में बहुत विशाल होते है। इनकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये एक पहाड़ जितने बड़े हो सकते है।
बादल का वजन भी कई सौ टन हो सकता है। बादल इतने भारी होने के बावजूद धरती पर क्यों नही गिरते है? इसका मुख्य कारण बादल में मौजूद पानी की बूंदे होती है। ये बूंदे 1 माइक्रोन साइज जितनी छोटी होती है। इतनी ज्यादा वजन में हल्की होने के कारण इन पर ग्रेविटी कार्य नही कर पाती है।
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