मैं घमंडों में भरा हुआ ऐंठा हुआ------------------ एक दिन जब था मुंडेरे पर खडा-----/- आ अचानक दूर से उड़ता हुआ। एक तिनका आंख में मेरी पड़ा----------- मैं झिझक उठा ,हुआ बेचैन सा ------लाल होकर आंख भी दुखने लगी-----/- मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,--------- ऐंंठ बेचारी दबे पांव भगी।---क- पाठ के रचयिता हैं * इस पात
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यह पंक्तियाँ एक तिनका कविता द्वारा ली गई है | यह कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा लिखी गई है| कविता ने कवि ने मनुष्य को घमंड ना करने की प्रेरणा दी है| कवि कहते है एक दिन वह बड़े घमंड के साथ घर के मुंडेर पर खड़े होते है , तभी एक छोटा सा तिनका आकर उनकी आँख में चला जाता है | तिनके की वजह से उन्हें बहुत तकलीफ होती है , बहुत मुश्किल के बाद वह तिनका आँख से निकल जाता है| तिनके के साथ उनका सारा घमंड भी निकल जाता है| कवि जीवन को सरल तरीके जीने के लिए कहते है|
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Answer:
maruf sushi Latif
Explanation:
Jayawardena
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