मोह।
अनुभाव रोमांच, आश्चर्य व्यक्त करना, मुँह खुला रह जाना आदि।
संचारी भाव
9. शांत रस- जब चित्त शांत अवस्था में होता है तो शांत रस की व्युत्पत्ति होती है।
उदाहरण- "बसो मेरो नैनन में नंदलाल।
मोर मुकुट मकाराकृति कुंडल, अरुण तिलक दिए भाल।।
मोहनि मूरत साँवरि सूरति, नैना बने विसाल।
अधर-सुधा रस मुरली राजति उर बैजंती माल।।
छुद्र घटिका कटि-तट शोभित नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई भगत बछल गोपाल।।"
यहाँ स्थायी भाव
निर्वेद
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