मुँह ढांककर सोने से बहुत अच्छा है
कि उठो जरा
कमरे की गर्द को ही झाड़ लो
शेल्फ में बिखरी किताबों की ढेर,
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what the hell are you asking pls explain
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Answer: निम्नलिखित पंकतिया कव्यानश से ली गई है जिसकी लेखक है कृति वर्मा|
ये पंकतिया हमे बताती है की हमे आलस नहीं करना चाहिए ओर कोई काम करते रहना चाहिए|
Explanation: मुँह ढांककर सोने से तो अच्छा है, उठो ज़रा पंक्ति से हमे सीखना चाहिए की हमे हमेशा अपने आस-पास ध्यान देना चाहिए, खाली नहीं बेठना चाहिए, क्युकी अगर हम कुछ नही करेंगे तो कोई फल की प्राप्ति नहीं होने वाले भविषये मे, किन्तु अगर हम बस उठ कर अपनी शेल्फ या अलमारी ही साफ कर ले तो उसका परिणाम हमे जरूर मिलेगा की आगे से हमे साफ सुथरे कपड़े मिलएगे|
- ऐसे गद्यांश या कव्यानश विद्यार्थी अपने पुस्तक मे नहीं पढ़ता, ये सीधा परीक्षा मे पूछा जाता है
- गद्यांश या काव्यांश सुलझाते समे कुछ बातों पर गोर करे=
- कविता के संदेश और मुख्य विषय को ध्यान से दो-तीन बार पढ़कर समझें।
- चुनौतीपूर्ण शब्दों या अनुच्छेदों को हाइलाइट करें।
- प्रश्नों का उत्तर देते समय प्रतीकों पर विशेष ध्यान दें।
- कविता से ही पूछताछ को संबोधित करते हुए; पद्य के बाहर उत्तर देने का प्रयास करने से बचें।
- कविता के शब्दों को समाधान के रूप में प्रयोग न करें; इसके बजाय, अपनी भाषा में प्रतिक्रिया बनाएँ।
- यदि प्रश्न में उस भावना का वर्णन करने वाली पंक्तियाँ शामिल हैं, तो उत्तर में प्रासंगिक भावना को व्यक्त करने वाली कविता की पंक्तियों का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
Learn more about गद्यांश या काव्यांश here- https://brainly.in/question/28697988
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