मैं ही क्रांति हूँ"" ""मैंने क्रांति का अंत किया है।’ नेपोलियन द्वारा कहे गए ये कथन कितने सार्थक एवं सत्य हैं?
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Unka yah kathan Sarthak aur satya nhi h
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"मैं ही क्रांति हूँ मैंने क्रांति का अंत किया है।" नेपोलियन द्वारा कहा गया ये कथन सार्थक सिद्ध नहीं हुआ।
Explanation:
- नेपोलियन ने समुचित फ्रांस को जीतकर उसकी जनता को परेशानियों से मुक्त कराया उसके पश्चात उसका यह कथन की " मैं ही क्रांति हूँ , क्यूंकि मैंने क्रांति का अंत किया है," सार्थक सिद्ध नहीं हुआ।
- फ्रांस को जीतने के बाद उसकी महत्वकांक्षा बढ़ती चली गयी और वह पूरे विश्व को जीतने के सपने देखने लगा।
- लगातार युद्ध में रहना , संधियों का सम्मान न करना और प्रशानिक कार्यों से ज़्यादा युद्ध में लगे रहने के कारण धीरे धीरे फ़्रांस की जनता भी उसके खिलाफ हो गयी।
- जीवन के अंतिम समय में नेपोलियन को फ़्रांस की सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
- नेपोलियन जिस क्रांति को अंत करने की बात करता था , वहीं लोगों ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया , और वह खुद भी एक प्रकार से क्रांति का शिकार हो गया।
- इस कारण उसका कहा गया कथन सार्थक सिद्ध नहीं हुआ।
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