मुंह में पानी आने के बावजूद भी लेखक ने खीरे की सांस लेने से क्यों मना किया
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➲ मुँह में पानी आ जाने के बावजूद लेखक ने खीरे की फाँक लेने से किया मना कर दिया क्योंकि जब लेखक ट्रेन के डिब्बे में चढ़ा था तो नवाब साहब ने उसके साथ रूखा व्यवहार किया। लेखक ने जब बातचीत करने की कोशिश की तो नवाब साहब ने बातचीत करने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। इससे लेखक के सम्मान को ठेस पहुंची। बाद में जब नवाब साहब ने खीरा काटने के बाद लेखक को उसकी फाँक लेने का आग्रह किया तो लेखक तो नवाब द्वारा किया गया वह रूखा व्यवहार याद आ गया। लेखक ने अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए तेरे मुँह में पानी आ जाने के बादजूद खीरे की फाँक लेने से मना कर दिया।
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