म+ह=मह उदाहरण के अनुसार मह _संयुकत वर्णो वाले शब्द लिखो I will mark as brainleist
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अक्षर' या शब्दांश (अंग्रेज़ी: syllable सिलाबल) ध्वनियों की संगठित इकाई को कहते हैं। किसी भी शब्द को अंशों में तोड़कर बोला जा सकता है और शब्दांश शब्द के वह अंश होते हैं जिन्हें और ज़्यादा छोटा नहीं बनाया जा सकता वरना शब्द की ध्वनियाँ बदल जाती हैं।
उदाहरणतः 'अचानक' शब्द के तीन शब्दांश हैं - 'अ', 'चा' और 'नक'। यदि रुक-रुक कर 'अ-चा-नक' बोला जाये तो शब्द के तीनों शब्दांश खंडित रूप से देखे जा सकते हैं लेकिन शब्द का उच्चारण सुनने में सही प्रतीत होता है। अगर 'नक' को आगे तोड़ा जाए तो शब्द की ध्वनियाँ ग़लत हो जातीं हैं - 'अ-चा-न-क'. इस शब्द को 'अ-चान-क' भी नहीं बोला जाता क्योंकि इस से भी उच्चारण ग़लत हो जाता है।
कुछ छोटे शब्दों में एक ही शब्दांश होता है, जैसे 'में', 'कान', 'हाथ', 'चल' और 'जा'. कुछ शब्दों में दो शब्दांश होते हैं, जैसे 'चलकर' ('चल-कर'), खाना ('खा-ना'), रुमाल ('रु-माल') और सब्ज़ी ('सब-ज़ी')। कुछ में तीन या उस से भी अधिक शब्दांश होते हैं, जैसे 'महत्त्वपूर्ण' ('म-हत्व-पूर्ण') और 'अंतर्राष्ट्रीय' ('अंत-अर-राष-ट्रीय')।
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पंचमाक्षर
पंचमाक्षर अर्थात् वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यंजन। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण' आदि। आधुनिक हिन्दी में पंचमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है।
प्रयोग
कई शब्दों में शिरोरेखा के ऊपर एक बिन्दु (अनुस्वार) का प्रयोग किया जाता है, जैसे-
गंगागड्.गाझंडाझण्डाचंचलचञ़्चलमंदमन्दसंबलसम्बल
गंगा (ग ड्.गा), झंडा (झण्डा), चंचल (चञ़्चल), मंद (मन्द), संबल (सम्बल) आदि वर्णों में अनुस्वार (ॱ ) के बाद आने वाले वर्ण का सम्बन्ध जिस वर्ग के साथ है, अनुस्वार उसी वर्ग के पाँचवें वर्ण के स्थान-पर प्रयुक्त हो रहा है। यही पंचम वर्ण के प्रयोग का नियम है।[1]
वर्गवर्ण‘क’ वर्गक् ख् ग् घ् ङ्‘च’ वर्गच् छ् ज् झ् ञ़्‘ट‘ वर्गट् ठ् ड् ढ् ण्‘त’ वर्गत् थ् द् ध् न्‘प’ वर्गप् फ् ब् भ् म्
बिन्दी का प्रयोग
आजकल पंचमाक्षरों के बदले में बिन्दी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसका प्रयोग निम्नानुसार होता है-
'क' वर्ग के पहले चार अक्षरों (क, ख, ग, घ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ङ' संयुक्त होता है, तब ङ् (आधा ङ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।[2]
उदाहरणअङ्क = अंक, शङ्ख = शंख, गङ्गा = गंगा, सङ्घ = संघ।
'च' वर्ग के पहले चार अक्षरों (च, छ, ज, झ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ञ' संयुक्त होता है, तब ञ् (आधा ञ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरणचञ्चल = चंचल, अञ्जन = अंजन
'ट' वर्ग के पहले चार अक्षरों (ट, ठ, ड, ढ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ण' संयुक्त होता है, तब ण् (आधा ण) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरणघण्टी = घंटी, कण्ठ = कंठ, ठण्ड = ठंड
'त' वर्ग के पहले चार अक्षरों (त, थ, द, ध) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'न' संयुक्त होता है, तब न् (आधा न) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरणदन्त = दंत, ग्रन्थ = ग्रंथ, हिन्दी = हिंदी, गन्ध = गंध।
'प' वर्ग के पहले चार अक्षरों (प, फ, ब, भ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'म' संयुक्त होता है, तब म् (आधा म) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरणचम्पा = चंपा, गुम्फ = गुंफ, अम्बा = अंबा, आरम्भ = आरंभ।
उपर्युक्त नियम संस्कृतनिष्ठ शब्दों पर लागू होते हैं। अन्य शब्दों पर बिन्दी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा सकता है। जहाँ पंचमाक्षर अपने वर्ग के चार अक्षरों के अतिरिक्त किसी और अक्षर के साथ संयुक्त हो रहा हो, वहाँ बिन्दी के प्रयोग की अनुमति नहीं है। जैसे- वाङ्मय, अन्य, उन्मुख इत्यादि। पंचम वर्ण जब दुबारा आये, तब भी बिन्दी का प्रयोग नहीं होता, जैसे- अन्न, सम्मेलन, सम्मति इत्यादि।