मोहिनी मूर्ति सावरी सुरति नैना बने बीसाल पंक्ति में अलंकार है
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‘मोहिनी मूर्ति सावरी सुरति नैना बने बीसाल’ इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ है।
स्पष्टीकरण
‘मोहिनी मूर्ति सावरी सुरति नैना बने बीसाल’ क्योंकि इस पंक्ति में ‘म’ वर्ण और ‘स’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है। अनुप्रास अलंकार वहाँ होता है, जब किसी काव्य पंक्ति में शब्दों के समान प्रथम वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है।
अनुप्रास अलंकार में किसी एक से अधिक शब्दों में समान प्रथम वर्ण की आवृत्ति होती है, अथवा किसी शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है।
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