'मैं हूँ नदी' इस विषय पर
कविता कीजिए।
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Explanation:
मैं नदी हूं
सकती हूं मैं चलती हूं
कई मौकों पर करती हूं
उलझती हो फिर भी हर रोज
मंजिल के तरफ में बढ़ती हूं
मैं नदी हूं
कभी किनारे पर कभी दरिया पर
बहुत लोगों से मिलती और बिछड़ते हूं
मैं नदी हूं
आखिर में जाकर समंदर से ही मिलती हूं
siddharthgaikwad755:
nice
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