मोह और प्रेम में क्या अंतर है?
Answers
मोह बांधता है, प्रेम आजाद करता है, स्वतंत्र कर देता है।
प्रेम शाश्वत गुण है, जीवन का आधार है, और कभी कम नहीं होता, बढ़ता ही जाता है। जबकि मोह स्वार्थ से पैदा होता है, और समय के साथ कम या खत्म भी हो जाता है।
प्रेम ऊपर उठाता है पर मोह नीचे गिराता है। अर्थात प्रेम में इंसान महान हो जाता है और मोह में पड़ कर गिर जाता है।
प्रेम अटूट है कभी भंग नहीं होता, जबकि मोह भंग हो जाता है।
मोह में पाने की इच्छा होती है, प्रेम में केवल समर्पण का भाव होता है।
मोह दुख का कारण होता है। प्रेम सुख का कारण होता है।
मोह के आंसू शिकवा शिकायतें और दुख लाते हैं, जबकि प्रेम के आंसू हृदय को निर्मल करने में सहायक होते हैं।
मोह कहता है मुझे यह नहीं मिला, मुझे वह नहीं मिला, मुझे उस से यह उम्मीद थी,वह पूरी नहीं हुई। प्रेम कहता है, अरे! मैं उसके लिए कुछ नहीं कर पाता। मैं उसे कैसे खुश रखूं? यानी मैं का तो कोई स्थान ही नहीं, वह ही वह है।
प्रेम खुशियों का स्त्रोत है।मोह दुखों का कारण है।
प्रेम जीवन की आशा को बढ़ाता है, जबकि मोह जीवन में जंजाल ही पैदा करता है।
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Concept introduction:
एक निराधार जुनून से बह जाना, अक्सर किसी के प्रति जिसके लिए उसने मजबूत प्रेम भावनाओं को प्राप्त कर लिया है, मोह या मोहित होने के रूप में जाना जाता है।
Explanation:
हमें निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर देना है।
हमें एक प्रश्न दिया गया है।
मोह बांधता है, प्रेम आजाद करता है, स्वतंत्र कर देता है। प्रेम शाश्वत गुण है, जीवन का आधार है, और कभी कम नहीं होता, बढ़ता ही जाता है। जबकि मोह स्वार्थ से पैदा होता है, और समय के साथ कम या खत्म भी हो जाता है। प्रेम ऊपर उठाता है पर मोह नीचे गिराता है। अर्थात प्रेम में इंसान महान हो जाता है और मोह में पड़ कर गिर जाता है।प्रेम अटूट है कभी भंग नहीं होता, जबकि मोह भंग हो जाता है। मोह में पाने की इच्छा होती है, प्रेम में केवल समर्पण का भाव होता है।
Final answer:
इसलिए, हमने इस प्रश्न का उत्तर लिखा है
और यह हमारा अंतिम उत्तर भी है
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