म्हारो गोकुल ब्रजवासी।।टेक॥
ब्रजलीला लखा सुख पावाँ ब्रजबणतां सुखरासी।
णाच्या गावाँ ताल बजावां पावां आणद हांसी।
णन्द जसोदा पुन्न रो प्रगट्यां प्रभु अविनासी।
पीताम्बर कट उर वैजणतां कर सोहां री बाँसी।
मीरा रे प्रभु गिरधर नागर दरसणं दीज्यौं दासी।
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