‘म हार गई ɇ ’ कहानी का ĤǓतपाɮय बताइए।
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i dont understand
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यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों-नीचाइयों से भी परिचित करता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोरा।
लेखिका इस गरीबी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अपने आदर्श निर्मित को मार कर अब उसे एक धनाढ्य करोड़पति के यहाँ पैदा करती है|अब आर्थिक समस्या नहीं रही|लेकिन यह अमीरी उसे शराब,जुआ और औरतखोरी , वेश्यागामी जैसे अनैतिक कर्मों की ओर ले गई|वह अपने पतन के चरम पर पहुँच जाता है|यहाँ तक कि वह अपनी माँ तुल्य सृष्टा के साथ इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय अनुभूति के धरातल पर रची गई ऐसी रचनाएँ हैं जिनके पात्र वायवीय दुनिया से परे, संवेदनाओं और अनुभव की ठोस तथा प्रामाणिक भूमि पर अपने सपने रचते हैं और ये सपने परिस्थितियों परिवेश और अन्याय की परम्पराओं के दबाव के सामने कभी-कभी थकते और निराश होते भले ही दिखते हों लेकिन टूटते कभी नहीं पुनःपुनः जी I
Explanation:
मैं हार गई कहानी में कहानीकार ने हार की बात की है "अपनी कहानी में मैंने एक ऐसे सर्वगुणसम्पन्न नेता का निर्माण करने की योजना बनाई जिसे पढ़कर कवि महाशय को अपनी हार माननी ही पड़े। भरी सभा में वह जो नेहला मार गए थे, उस पर मैं दहला नहीं, सीधे इक्का ही फटकारना चाहती थी, जिससे बाजी हर हालत में मेरी ही रहे।"