मेह उन पर है बरसता एक-सा, एक-सी उन पर हवाएं हैं बहीं। पर सदा ही यह दिखाता है हमें, ढंग उनके एक-से होते नहीं।
Q. कवि ने ऐसा क्यों कहा है कि ‘ढंग उनके एक से होते नहीं’?
फूल और काँटा का पाठ
Answers
Answer:
kyoki kabhi dukh hota hai or kabhi sukh
Answer:
फूल खुशी और प्रसन्नता का प्रतीक है। जबकि काँटा दु:ख का प्रतीक है। फूल सबके मन को खुशी प्रदान करता है। जबकि काँटा सबके मन को दुख और तकलीफ़ देता है।
Explanation:
फूल और काँटे को कौन-कौन सी समान परिस्थितियां प्राप्त होती है?
फूल और काँटा दोनों एक ही पौधे पर जन्म लेते हैं। इन्हें एक ही पौधा पालता है। रात में चांद भी समान रूप से दोनों पर प्रकाश डालता है। वर्षा तथा हवाएं भी दोनों को समान रूप में प्राप्त होतीं हैं।
कवि के अनुसार यद्यपि फूल और काँटे के पालन-पोषण में समानता है लेकिन दोनों के स्वभाव व व्यवहार में बहुत अंतर होता है । जैसे एक तरफ काँटा किसी की भी उँगली में चुभ जाता है, किसी के कपड़े में फँसकर उसे फाड़ देता है, फूलों पर बैठनेवाली तितलियों के पर भी फाड़ देता है और भौंरों के काले शरीर को भी अपने नोक से घायल कर देता है। इसी कारण वह सबकी आँख में हमेशा खटकता रहता है ।
दूसरी तरफ फूल है जो कि तितलियों व भौंरों को अपना रस चूसने देता है, अपनी खुशबू और निराले रंग से हमारे मन की कली को खिला देता है। फलस्वरूप फूल अपने सदाचरण से हमेशा देवताओं के सिर पर सुशोभित होता है ।
फूल में सभी गुण अच्छे हैं इसिलए हम मनुष्यों का आदर्श भी फूल ही होना चाहिए ताकि हम भी फूल के अच्छे गुण अपना सकें और उसकी तरह ही अपनी अच्छाई से अपना नाम भी रोशन कर सकें।
मेह उन पर है बरसता एक-सा,
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मेह उन पर है बरसता एक-सा, एक-सी उन पर हवाएं हैं बहीं। पर सदा ही यह दिखाता है हमें, ढंग उनके एक-से होते नहीं।
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