मुहावर की उत्पत्ति का रहस्य जब लेखक डॉ हरिकृष्ण देवसरे खोजते हैं तो सब स्पष्ट हो जाता है। इस मुहावर के रूप में पूछा जाता है और इसका उत्तर क्या है ? कोई सही मार है। 1.17 उसमें बहुत बड़ा तालाब था। जंगल के सभी जानवर इसी तालाब में पानी पीते थे। तालाब के पुराना पड़ था। उस पर अकलू नाम का बंदर रहता था। वह बहुत अकलमंद था। इसलिए सब लोग मनाम से पुकारा करते थे। पहर का समय था। एक भैंस तालाब में घुसकर नहाने लगी। बड़ी देर बाद जब वह निकली, तब मिट्टी और कीचड़ लगा हुआ था। अकलू ने उसका यह रूप देखा तो बड़ी जोर-जोर से और 'सजाया या के दो पद करके हँसने लगा। अविर भैस ठहरी। बिगड़ गई। वह गुस्से में बोली-"तुझे शर्म नहीं आती, अपने से बड़ों पर हंसते हुए?" रिओर से हँसा और बोला-अरे! तो ऐसा भी क्या नहाना कि देह में कीचड़-मिट्टी लगी रहे। इसस ही था कि नहाने न जाती। तूने तालाब का पानी भी गंदा कर दिया और खुद भी वैसी ही तो है। कहा आया", भैंस ने धमकाया, "जरा नीचे आ तो, अभी मजा चखा हूँ।' दूं" र अपना काम कर" अकलू ने ताने से कहा, चली है बड़ी बनने। इतना बड़ा डील तो है, पर अकल रत्ती के कानों तक जा पहँची
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मुहावर की उत्पत्ति का रहस्य जब लेखक डॉ हरिकृष्ण देवसरे खोजते हैं तो सब स्पष्ट हो जाता है। इस मुहावर के रूप में पूछा जाता है और इसका उत्तर क्या है ? कोई सही मार है। 1.17 उसमें बहुत बड़ा तालाब था। जंगल के सभी जानवर इसी तालाब में पानी पीते थे। तालाब के पुराना पड़ था। उस पर अकलू नाम का बंदर रहता था। वह बहुत अकलमंद था। इसलिए सब लोग मनाम से पुकारा करते थे। पहर का समय था। एक भैंस तालाब में घुसकर नहाने लगी। बड़ी देर बाद जब वह निकली, तब मिट्टी और कीचड़ लगा हुआ था। अकलू ने उसका यह रूप देखा तो बड़ी जोर-जोर से और 'सजाया या के दो पद करके हँसने लगा। अविर भैस ठहरी। बिगड़ गई। वह गुस्से में बोली-"तुझे शर्म नहीं आती, अपने से बड़ों पर हंसते हुए?" रिओर से हँसा और बोला-अरे! तो ऐसा भी क्या नहाना कि देह में कीचड़-मिट्टी लगी रहे। इसस ही था कि नहाने न जाती। तूने तालाब का पानी भी गंदा कर दिया और खुद भी वैसी ही तो है। कहा आया", भैंस ने धमकाया, "जरा नीचे आ तो, अभी मजा चखा हूँ।' दूं" र अपना काम कर" अकलू ने ताने से कहा, चली है बड़ी बनने। इतना बड़ा डील तो है, पर अकल रत्ती के कानों तक जा पहँची
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मुहावर की उत्पत्ति का रहस्य जब लेखक डॉ हरिकृष्ण देवसरे खोजते हैं तो सब स्पष्ट हो जाता है। इस मुहावर के रूप में पूछा जाता है और इसका उत्तर क्या है ? कोई सही मार है। 1.17 उसमें बहुत बड़ा तालाब था। जंगल के सभी जानवर इसी तालाब में पानी पीते थे। तालाब के पुराना पड़ था। उस पर अकलू नाम का बंदर रहता था। वह बहुत अकलमंद था। इसलिए सब लोग मनाम से पुकारा करते थे। पहर का समय था। एक भैंस तालाब में घुसकर नहाने लगी। बड़ी देर बाद जब वह निकली, तब मिट्टी और कीचड़ लगा हुआ था। अकलू ने उसका यह रूप देखा तो बड़ी जोर-जोर से और 'सजाया या के दो पद करके हँसने लगा। अविर भैस ठहरी। बिगड़ गई। वह गुस्से में बोली-"तुझे शर्म नहीं आती, अपने से बड़ों पर हंसते हुए?" रिओर से हँसा और बोला-अरे! तो ऐसा भी क्या नहाना कि देह में कीचड़-मिट्टी लगी रहे। इसस ही था कि नहाने न जाती। तूने तालाब का पानी भी गंदा कर दिया और खुद भी वैसी ही तो है। कहा आया", भैंस ने धमकाया, "जरा नीचे आ तो, अभी मजा चखा हूँ।' दूं" र अपना काम कर" अकलू ने ताने से कहा, चली है बड़ी बनने। इतना बड़ा डील तो है, पर अकल रत्ती के कानों तक जा पहँची
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