मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग कर एक अनुच्छेद लिखिए ( शबद - सीमा 200 शबद ) please give me the answer.. it's urgent...
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hey mate here's ur answer :-)
अनुच्छेद (पैराग्राफ) किसी लेख या निबंध का वह विशिष्ट अंश है जिसमें किसी विषय से संबंधित किसी खास और प्रायः एक विचार भाव और सूचना का विवेचन किया जाता है। यदि अनुच्छेद किसी निबंध या अन्य विधा का हिस्सा हो तो वह अपने पूर्ववर्ती और परवर्ति अनुच्छेदों से संबद्ध होता है। वह एक सीमा तक अपने में पूर्ण भी होता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा था कि विचारात्मक निबंध में लेखक को अपने भाव या विचार दबा-दबाकर भरने चाहिए और एक अनुच्छेद का संबंध दूसरे से होना चाहिए। विचारों की शृंखला बनी रहनी चाहिए। उसमें 'पूर्वापर संबंध' रहना चाहिए।
उदाहरण के लिये "अध्ययन के लाभ" विषय पर एक अनुच्छेद नीचे दिया गया है-
अध्ययन स्वयमेव अद्भुत आनन्द का स्रोत है। अध्ययन से ज्ञानेन्द्रियाँ ही आनन्द का अनुभव नहीं करती हैं अपितु व्यर्थ की चिन्ताएँ भी मिट जाती हैं। शरीर के प्रत्येक अंग को खुराक देना हमारा धर्म है। सुपाच्य भोजन से जिह्ना को रस मिलता है, भव्य रूप दर्शन से आँखें आनंदित होती हैं, मधुर राग-ध्वनि कानों को संतुष्टि देती है, वैसे ही स्वाध्याय मस्तिष्क का आहार बनकर उसे आनंदित करता है। अध्ययन के द्वारा मन और मस्तिष्क की विकृतियाँ नष्ट होती हैं। धार्मिक एवं श्रेष्ठ पुस्तकों का अध्ययन व्यक्ति को चरित्रवान बनाता है। चरित्रवान की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। श्रेष्ठ पुस्तकों के अध्ययन से बौद्धिकता बढ़ती है, मन के विकार दूर होते हैं। मन के संकल्प-विकल्प विस्तार पाते हैं जिससे रस और आनंद प्राप्त होता है। पुस्तकें उत्तम मित्र हैं। सचमुच सर्वोत्तम विश्वविख्यात पुस्तकें अमूल्य रत्नों का भंडार हैं। अकेली गीता का अध्ययन-मनन-चिन्तन व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्ति दिला सकती है।
hope it helps :-)
अनुच्छेद (पैराग्राफ) किसी लेख या निबंध का वह विशिष्ट अंश है जिसमें किसी विषय से संबंधित किसी खास और प्रायः एक विचार भाव और सूचना का विवेचन किया जाता है। यदि अनुच्छेद किसी निबंध या अन्य विधा का हिस्सा हो तो वह अपने पूर्ववर्ती और परवर्ति अनुच्छेदों से संबद्ध होता है। वह एक सीमा तक अपने में पूर्ण भी होता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा था कि विचारात्मक निबंध में लेखक को अपने भाव या विचार दबा-दबाकर भरने चाहिए और एक अनुच्छेद का संबंध दूसरे से होना चाहिए। विचारों की शृंखला बनी रहनी चाहिए। उसमें 'पूर्वापर संबंध' रहना चाहिए।
उदाहरण के लिये "अध्ययन के लाभ" विषय पर एक अनुच्छेद नीचे दिया गया है-
अध्ययन स्वयमेव अद्भुत आनन्द का स्रोत है। अध्ययन से ज्ञानेन्द्रियाँ ही आनन्द का अनुभव नहीं करती हैं अपितु व्यर्थ की चिन्ताएँ भी मिट जाती हैं। शरीर के प्रत्येक अंग को खुराक देना हमारा धर्म है। सुपाच्य भोजन से जिह्ना को रस मिलता है, भव्य रूप दर्शन से आँखें आनंदित होती हैं, मधुर राग-ध्वनि कानों को संतुष्टि देती है, वैसे ही स्वाध्याय मस्तिष्क का आहार बनकर उसे आनंदित करता है। अध्ययन के द्वारा मन और मस्तिष्क की विकृतियाँ नष्ट होती हैं। धार्मिक एवं श्रेष्ठ पुस्तकों का अध्ययन व्यक्ति को चरित्रवान बनाता है। चरित्रवान की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। श्रेष्ठ पुस्तकों के अध्ययन से बौद्धिकता बढ़ती है, मन के विकार दूर होते हैं। मन के संकल्प-विकल्प विस्तार पाते हैं जिससे रस और आनंद प्राप्त होता है। पुस्तकें उत्तम मित्र हैं। सचमुच सर्वोत्तम विश्वविख्यात पुस्तकें अमूल्य रत्नों का भंडार हैं। अकेली गीता का अध्ययन-मनन-चिन्तन व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्ति दिला सकती है।
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Prashant24IITBHU:
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