Hindi, asked by lalitrana17, 11 months ago

मुहावरों से बनी एक कहानी

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Answered by swarnimarxl
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कुंभज नामक एक कुम्हार बहुत सुंदर घड़ेसुराही, गमले आदि बनाता था। उसके बनाए सामान की मांग दूरदूर तक थी। वह अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करता था। उसके पास एक छोटा-सा कमरा था । और बाहर बहुत बड़ा चौक। वह अपने सभी मिट्टी के बर्तनों को बनाकर उन्हें चौक में सुखाता था। उसके चौक में बहुत अच्छी और गहरी धूप आती कुंभज अपने जीवन में दिनरात परिश्रम कर बेहद खुश रहता था।



वह अभी अविवाहित था। उसने सोचा हुआ था कि जब मैं अपनी मेहनत से कुछ रुपये इकट्ठे कर एक बढ़िया-सा घर बना लूगा तभी विवाह कलंगा और फिर विवाह के लिए रुपये भी तो चाहिए।सुबह उठते ही वह पूरा चौक साफ़ करता। इसके बाद दैनिक दिनचर्या से निवृत्त होकर व्यायाम करता। उसका बदन भी गठीला और रौबदार था। इसके साथ ही वह बच्चों से भी प्रेम करता था। बच्चे जबतब उसके चौक में आकर सुंदर-सुंदर मिट्टी के बर्तनों को निहारते और कुंभज से उन्हें बनाने की प्रक्रिया सीखते। कुंभज को इन सब में एक असीम आनंद व सुख मिलता था।

वह बहुत होशियार था। हर बात को गहराई से समझ कर ही किसी काम में हाथ डालता था। भज के बर्तन हमेशा चौक में ही रहते थे इसलिए उसे उस समय खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता था जब चौमासे होते थे या बेमौसम बरसात आती थी।



इसके लिए उसने एक बड़ा तिरपाल लाकर रखा हुआ था और जैसे ही मौसम के मिजाज को देखकर उसे लगता कि बारिश होने के टांग देता उसके । इससे आसार हैं तो वह तुरंत अपने तिरपाल को चौक पर बर्तन बच जाते थे।


थी। वह मूसलाधार बना रहा था तो अचानक एक दिन जब वह अपने बर्तनों को आंधी-सी चलने लगी। हवाओं की नमी बा।ि मौसम के तेवर बदल गए। का संकेत देने लगी। बहतीबहती पुरवइया कुंभज को बेहद पैसा

का उठा ही रहा था कि तभी बड़ीबड़ी जोर जोर से अभी पुरवइया आनंद बादल गरजने लगे।

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