मुहल्लेदारी के बारे में क्या सच नहीं है-
1 point
(क) आपस में मिल-जुलकर रहना
(ख) दुख-सुख में साथ देना
(ग) अपनी बात किसी से गुप्त न रखना
(घ) आस-पड़ोस का हस्तक्षेप पसंद न करना।
(iii) आज के व्यक्ति को प्राइवेसी के नाम पर प्राप्त हुआ है-
1 point
(क) अलगाव और अकेलापन
(ख) अपने में ही सीमित होने का आनंद
(ग) संयुक्त परिवार की समस्याओं से मुक्ति
(घ) मुहल्ले के झंझटों से छुटकारा।
(iv) आज बहुत कठिनाई से प्राप्त होने वाली वस्तु है-
1 point
(क) संबंधों की महत्ता
(ख) धन-संपत्ति
(ग) आत्मीयता
(घ) एकाकीपन।
(v) गद्यांश का शीर्षक क्या है-
1 point
(क) आपसी लगाव
(ख) पुराना ज़माना
(ग) मुहल्लेदारी
(घ) वैचारिक स्वतंत्रता।
Option 5
प्रश्न-2 अपठित पद्यांश को पढ़कर विकल्पों में से सही उत्तर लिखिए –लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा।लक्ष्य है अति दूर दुर्गम, मार्ग भी हम जानते हैं.किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते है |जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा।धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता| देखते-ही-देखते वह लक्ष्य का ही बेध करता।लक्ष्य प्रेरित बाण हैं ,हम ठहरने का काम कैसा।बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो |हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो,हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा।।(I) कवि ने पथिक को क्या संदेश दिया है?
1 point
Answers
Answer:
मुहल्लेदारी
Explanation:
प्रश्न १: मुहल्लेदारी के बारे में क्या सच नहीं है-
(क) आपस में मिल-जुलकर रहना
(ख) दुख-सुख में साथ देना
(ग) अपनी बात किसी से गुप्त न रखना
(घ) आस-पड़ोस का हस्तक्षेप पसंद न करना।
उत्तर: घ) आस-पड़ोस का हस्तक्षेप पसंद न करना
(iii) आज के व्यक्ति को प्राइवेसी के नाम पर प्राप्त हुआ है-
(क) अलगाव और अकेलापन
(ख) अपने में ही सीमित होने का आनंद
(ग) संयुक्त परिवार की समस्याओं से मुक्ति
(घ) मुहल्ले के झंझटों से छुटकारा।
उत्तर: (क) अलगाव और अकेलापन
(iv) आज बहुत कठिनाई से प्राप्त होने वाली वस्तु है-
(क) संबंधों की महत्ता
(ख) धन-संपत्ति
(ग) आत्मीयता
(घ) एकाकीपन।
उत्तर: (क) संबंधों की महत्ता
(v) गद्यांश का शीर्षक क्या है-
(क) आपसी लगाव
(ख) पुराना ज़माना
(ग) मुहल्लेदारी
(घ) वैचारिक स्वतंत्रता।
उत्तर: (ग) मुहल्लेदारी
प्रश्न-2 अपठित पद्यांश को पढ़कर विकल्पों में से सही उत्तर लिखिए –लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा।लक्ष्य है अति दूर दुर्गम, मार्ग भी हम जानते हैं.किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते है |जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा।धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता| देखते-ही-देखते वह लक्ष्य का ही बेध करता।लक्ष्य प्रेरित बाण हैं ,हम ठहरने का काम कैसा।बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो |हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो,हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा।।(I) कवि ने पथिक को क्या
संदेश दिया है
उत्तर : कवि ने हमें यही संदेश दिया है कि यदि हमने अपने लिए कोई लक्ष्य तय किया है तो चाहे जो भी हो हमें उस लक्ष्य को प्राप्त करना ही होगा चाहे जो भी हो जाए।मार्ग में थककर बैठ जाने की कोई भी वजह नहीं होनी चाहिए।लगातार आगे बढ़ो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो
Answer:
d is the correct option...