मेहमाननवाजी के बारे में अपने विचार 25 30 शब्दों
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बहुत ही पुराने समय से संस्कृत की यह कहावत चली आ रही है की “अतिथिदेवो भव” जिसका मतलब होता है की घर आया अतिथि अर्थात मेहमान भगवान के समान होता है, तो चाहे वो किसी भी धर्म,रंग या रूप का हो हमे उसका आदर व सम्मान करते हुए उसका सवागत करना चाहिए | ऐसा करना हमारे शिष्टाचार को तो दर्शाता ही है साथ-साथ यह भी बताता है की हम व्यवहार किसी अनजान के लिए केसा है , इसलिए हमे अपने घर पर आये किसी भी व्यक्ति का आदर के साथ स्वागत करना चाहिए |
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