मोहन के पैर अनायास ही शिल्पकार टोले की ओर मुड़ गए। उसके मन के किसी
कोने में शायद धनराम लोहार के आफर की वह अनुगूंज शेष थी जिसे वह पिछले
तीन-चार दिनों से दुकान की ओर जाते हुए दूर से सुनता रहा था। निहाई पर रखे
लाल गर्म लोहे पर पड़ती हथौड़े की धप्-धप् आवाज, ठंडे लोहे पर लगती चोट से
उठता ठनकता स्वर और निशाना साधने से पहले खाली निहाई पर पड़ती हथौड़ी की
खनक जिन्हें वह दूर से ही पहचान सकता था।
लंबे बेंटवाले हँसुवे को लेकर वह घर से इस उद्देश्य से निकला था कि अपने
खेतों के किनारे उग आई काँटेदार झाड़ियों को काट-छाँटकर साफ़ कर आएगा। बूढ़े
वंशीधर जी के बूते का अब यह सब काम नहीं रहा। यही क्या, जन्म भर जिस
पुरोहिताई के बूते पर उन्होंने घर-संसार चलाया था, वह भी अब वैसे कहाँ कर पाते
हैं! यजमान लोग उनकी निष्ठा और संयम के कारण ही उनपर श्रद्धा रखते हैं लेकिन
बुढ़ापे का जर्जर शरीर अब उतना कठिन श्रम और व्रत-उपवास नहीं झेल पाता।
उक्त गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या करो
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something that has actual existence space exploration is now a fact. b : an actual occurrence prove the fact of damage. 2 : a piece of information presented as having objective reality These are the hard facts of the case.
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