मोहन के 'व्रत पर' के madhyam से कवि किस मोहन की baat कह raha है? answer please....
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मोहन के व्रत पर के मध्यम से कवि किस मोहन की बात कह रहा है ?
मोहन के व्रत पर के मध्यम से कवि मोहनदास करमचन्द गांधी की बात कर रहा है |
व्याख्या :
कोयल की विद्रोह वाली आवाज़ ने लोगों को आज़ादी के लिए प्रेरित कर दिया है | कोयल की आवाज़ सुन कर जेल में बंद कैदी आजादी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है |
कवि कोयल से कहता है कि तुम ही बताओ मैं क्या करूं ? मैं भी गांधी जी की तरह आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दूँ | मैं क्या कर सकता हूँ |
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