मोहन मुख रिस की बाते जसुमती सुन सुन रीझै
Answers
Answered by
2
तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुं न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातैं जसुमति सुनि सुनि रीझै॥
यह रचना मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो सूरदास द्वारा लिखी गई है | रचना में भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला का सजीव वर्णन किया है।
बालक कृष्ण अपना गुस्सा माँ पर निकालते हुए कहते हैं, माँ तू भी हमेशा मुझे ही मारती रहती है, दाऊ पर कभी गुस्सा भी नहीं होती है। माँ कृष्ण की बाते सुनकर रीझने लगती है | माँ कृष्ण जो बड़े प्यार से समझती है |
Similar questions