मेहनत करनेवालों को ही सुख पाने का अधिकार है। कवि ने ऐसे क्या कहा होगा ?
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Explanation:
प्रस्तुत प्रश्न कण कण का अधिकारी नामक कविता से लिया गया हैं|इस पाठ की विधा कविता हैं|कविता रसात्मक होती है|.डॉ रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रमुख कवी माने जाते है|इनका जन्म सन १९०८ में मुगेर में हुआ और मृत्यु सन १९७४ में हुआ|”उर्वशी” काव्य पर इनको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला|रेणुका,कुरुक्षेत्र परसुराम की प्रतीक्षा आदि आदि इनकी प्रमुख रचनाए है|
1 जो उपना पसीना बहाकर मेहनत करता हैं सबसे पहले उसे सुख मिलना चाहिए|उसे ही सबसे पहले सुख पाने का अधिकार हैं|परिश्रम करने वालों के बारे में ही पहले सोच रखना चाहिए |उसे पीछे रख कर किसी प्रकार की विकास नहीं कर सकते|
2 अनुचित तरीके से सुख सुविधाए प्राप वक्ती सुखी तो रहेगा मगर हमेश भय भीत से रहेगा |एक डर उसके मन में हमेशा बना रहता हैं|श्रम करनेवाला व्यक्ति सिमित सुविधाएँ ही प्राप्त करसकता हैं मगर वह मनमे तो प्रसन्न रहता हैं |इस अधर पर हम कह सकते हैं कि श्रम से पाया गया धन ही सर्वोत्तम हैं|उसमे ही सुख ओर प्रसन्न हैं|