मेहनत सफलता की कुंजी है कहानी
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hard work is the key of success
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अगर आप मेहनत करते है तो आप अपने सपनों को साकार कर सकते है, क्युकी मेहनत की सफलता धन से कही बढकर होती है, तो आज यहा एक ऐसी हिन्दी कहानी धन से बढकर मेहनत ही सफलता की कुंजी है बताने जा रहे है, जिसमे यह पता चलता है, यदि हम मेहनत करना चाहते है, तो निश्चित अपने मेहनत के बल पर सफलता अर्जित कर सकते है, तो चलिए धन से बढकर मेहनत ही सफलता की कुंजी की हिन्दी कहानी को अब जानते है.
धन से बढकर मेहनत ही सफलता की कुंजी हिन्दी कहानी
एक गरीब व्यक्ति था वह बहुत ही परेशान रहता था घर की तमाम उलझने से वह अक्सर चिंतित रहता था वह दिन रात बस यही किसी तरह उसकी गरीबी खत्म हो जाए तो उसके सभी दुःख दूर हो जाये.
एक दिन वह अपने खेतो पर जा रहा था की की उसके गाव वालो ने ने बताया की पास की नदी के पास एक महात्मा जी ठहरे है वह बहुत ही ज्ञानी है अगर वह उनके पास जाकर उनके दर्शन कर ले और अपनी समस्याए बताये तो उसके दुःख दूर हो सकते है.
और थोड़ी देर में वह नदी के पास महात्मा की कुटी के पास पहुच गया और फिर महात्मा जी के दर्शन का इन्तजार करने लगा.
थोड़ी देर में महात्मा जी कुटी से बाहर निकले तो उस व्यक्ति पर नजर पड़ी तो तुरंत महात्मा जी उसके पास गये और उनके पास आने का कारण पूछा तो वह व्यक्ति तुरंत अपनी गरीबी और दुःख के हालत बता दिया
तो उसकी बातो को सुनकर महात्मा जी बोले देखो मै तुम्हे तीन ऐसी चीज दे रहा हु जो तुम्हे सारे दुखो से छुटकारा दिला सकती है.
इसके बाद महात्मा जी ने अपने पास से तीन गठरी निकाली और बोले इन तीनो में से किसी एक को अपने पास रखने को मिलेगा.
तो उस व्यक्ति ने हां कर दिया तो महात्मा जी ने उसे तीन गठरिया दी, तीनो गठरियो के उपर अलग अलग नाम लिखे थे पहले वाली पर धन दुसरे पर पर अवसर और तीसरे पर मेहनत लिखा था.
तो वह व्यक्ति इन नामो को पढ़कर थोडा आश्चर्यचकित हुआ और फिर महात्मा जी से इन नामो के बारे में पूछा तो महात्मा जी बोला पहले तुम किसी एक गठरी को तुम ले लो फिर मै इसके बारे में बताऊंगा.
अब वह व्यक्ति बड़ा ही असमंजस की स्थिति में था और फिर इन नामो पर विचार करने लगा तो उसे धन वाली गठरी में धन होने का अहसास हुआ तो सोचा की जब ये मेरे पास होंगी तो मेरे सारे दुःख दूर हो जायेगे और फिर भला मुझे अवसर की क्या जरूरत है और जब धन रहेगा तो फिर मुझे मेहनत करने की जरूरत भी नही रहेगी.
यही सब सोचकर उसने धन वाली गठरी अपने पास रख लिया और बाकी बाकी दोनों गठरी वापस कर दिया.
और फिर महात्मा जी से इन गठरियो के बारे में पूछा तो महात्मा जी ने बताया देखो तुम गरीब हो ये तुम खुद से मानते हो इसलिए तुमने धन के बारे में सोचकर ही तुमने धन वाली गठरी उठाया और ऐसा हर मानव का स्वाभाव भी है क्यू की उसे लगता है की अगर धन हो तो सबकुछ अच्छे में परिवर्तित कर सकता है लेकिन धन जुटाने के चक्कर में मानव अपनी जिन्दगी के अनमोल अवसरों को भी गवा देता है.
और यदि तुम सिर्फ अवसर की तलाश में रहोगे तो फिर कभी भी मेहनत करना नही चाहोगे और हमेसा यही सोचते रहोगे की कब मेरा अच्छा समय आएगा और कब मै अमीर व्यक्ति बन पाउँगा और ऐसा सोचते हुए भी जिन्दगी के अनमोल पलो को युही नष्ट कर लेते हो और ये जिन्दगी हम सभी को एक बार ही मिलती है.
और तुम मेहनत पर विश्वास करते तो अपने बुरे से बुरे अवसर को भी अच्छे समय में परिवर्तित कर सकते हो और मेहनत के बल पर अधिक से अधिक धन कमा सकते हो जो मेहनत से कमाया हुआ धन हमे सुख और सुकून भी देता है और मेहनत से कमाए गये धन का सही से उपयोग भी कर सकते हो.
इसलिए अब तुम बताओ की कौन सी गठरी लेना पसंद करोगे तो वह व्यक्ति तुरंत महात्मा जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला महात्मा जी मुझे माफ़ करे मै अज्ञानी व्यक्ति जो सिर्फ रात दिन धन पाने के बारे में ही सोचता रहा लेकिन आपने मेरी आखे खोल दी अब मुझे समझ में आ गया की अगर मै जितना दिन बस सोचा अगर उतना दिन मेहनत करता तो शायद आज मै अपने दुखो को लेकर परेशान नही रहता और न ही लोगो से अपने दुखो के बारे में कहता फिरता.