माइकोप्लाज्मा की प्रकृति एवं लक्षणों का वर्णन कीजिए।
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माइकोप्लाज्मा : ये ऐसे जीवधारी होते है जिनमे कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है , ये सबसे छोटे सजीव होते है। ये ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी जीवित रह सकते है। ये पादपों व जन्तुओं में अनेक रोग उत्पन्न करते है।
प्रॉटिस्टा (protista) : सामान्य लक्षण
1. इसमें एक कोशिकीय यूकेरियोटिक सजीवों को रखा गया है।
2. इसमें प्रकाश व अप्रकाश संश्लेषी दोनों प्रकार के सजीवों को रखा गया है।
3. इनमे सुसंगठित केन्द्रक व झिल्ली युक्त कोशिकांग होते है।
4. इनमें कोशिका भित्ति उपस्थित अथवा अनुपस्थित होती है।
5. इनमे पोषण स्वपोषी या परपोषी प्रकार का होता है।
6. इनमें चलन पक्ष्माम या कशायिका द्वारा होता है , ये अलैंगिक कोशिका संलयन तथा अलैंगिक जनन द्वारा प्रजनन करते है।
7. प्रोटिस्टा में क्राइसोफाइट , डाइनोप्लैजिलेट , यूग्लीनाइड , अवपंक कवक व प्रोट्रोजोआ को शामिल किया गया है।