Hindi, asked by wwwpanchaljaishreena, 4 months ago

म) इस दोई में कबीर का वासविक संदेश क्या है
की) जातिप्रथ समाप कमी चाहिए।
खो) साघु या ज्ञानी की जति त पूछकर उनके
ज्ञान को विनम्रतापूर्वक
जाक्ष प्राप्त करने का
प्रमाश
करना
चाहिए।
ए)जानी से महत्त्वपूर्व ज्ञान होता है।
घ)uparka सभीl​

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Answered by anamnaaz1
1

Answer:

Where Is Doha???????????

Answered by naiteek5124
0

Answer:

कबीर ज्ञान मंदिर

कबीर ज्ञान मंदिर भारतवर्ष के झारखंड प्रदेश के पावन नगरी गिरिडीह में स्थित एक जाग्रत और महान तपःस्थली, प्रसिद्ध तीर्थभूमि, आत्मबोध और ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला आध्यात्मिक केंद्र तथा अपने में अकेला, अनूठा दर्शनीय स्थल है। इसके पावन तीर्थ और दर्शनीय स्थल होने के कई महत्त्वपूर्ण कारण हैं, जो इस प्रकार हैं-

यह आत्मनिष्ठ, महान त्यागी, परम विदूषी, लोकोपकारी, संत-गुरुमां ज्ञानानंद जी की दिव्य तपोभूमि और कर्मभूमि है।

गुरु गोविन्द धाम

इसके पवित्र आंगन में गुरु गोविन्द धाम नामक भव्य मंदिर अवस्थित है। इसके भूमिगत भाग-अंडरग्राउंड फलोर में गुरुमां के पूज्य गुरुदेव सदगुरु विवेक साहब जी महाराज की सिद्ध समाधि है, जो सभी मनोकामनाओं को पूरी करनेवाली है। दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त जन इसके दर्शन के लिए आते हैं और यहां माथा टेकते हैं।

इस समाधि मंदिर के उपरीभाग में गुरु और गोविन्द एक साथ विराजित हैं, जो झारखंड अथवा भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में अनूठा और अकेला है। मंदिर में एक ओर अपनी अखंड शांति फैलाते निर्गुण निराकार के उपासक सदगुरु संत कबीर और दूसरी ओर भक्तवत्सल भगवान नारायण-विष्णु दर्शन दे रहे हैं। यह एक साथ भारतीय अध्यात्म और भारतीय संस्कृति, विरक्ति और समृद्धि का सुन्दर उदाहरण है। यह एक जीवंत और सिद्ध मंदिर तथा गुरुमां ज्ञान की अलौकिक भक्ति का प्रमाण है। यहां विराजित गुरु-गोविन्द भगवान में ऐसी आकर्षण शक्ति है, जो भक्तों को बरबस आकर्षित कर लेते हैं।

सत्संग कक्ष

श्री कबीर ज्ञान मंदिर के सत्संग कक्ष में भी माबर्ल पत्थरों से बना सुन्दर मंदिर है, जहां सदगुरु कबीर साहब की शांत प्रतिमा तथा सदगुरु विवेक प्रभु की वात्सल्यभरी तस्वीर सजी है। यह मंदिर भवन भी दर्शनीय है। इसी सत्संग भवन में सदगुरु मां प्रतिदिन अपनी ब्रह्मवाणी से उपस्थित जन समुदाय को आत्मज्ञान-आत्मबोध देते हैं। यहां जिज्ञासु साधक सदगुरु मां से प्रश्न भी पूछते हैं और अपने प्रश्नों का समाधान भी प्राप्त करते हैं। श्रीकृष्ण की उपदेश भूमि कुरुक्षेत्र' की तरह यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहां सदगुरु मां ने श्रीकृष्ण की गीता, सदगुरु कबीर के बीजक, वेदव्यास के पुराण, वाल्मीकि जी का योगवाशिष्ठ रामायण और उपनिषदों के सार संदेशों पर लोक-कल्याण के लिए उपदेश दिया है और देते हैं, इसलिए इसका भी ऐतिहासिक महत्व है।

अध्यात्म निकुंज

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में ही बन रहा अध्यात्म निकुंज नामक सुन्दर भवन भी मनभावन प्रेरक दर्शनीय स्थल होगा। यह पांच तलीय विशाल भवन है।

इसके प्रथम भूमिगत तल में श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन केंद्र की प्रेस व्यवस्था, आधुनिक साधनों से संपन्न कंप्यूटर रूम की योजना है। यहां से सदगुरु मां ज्ञान की अनेक आध्यात्मिक, कल्याणकारी, व्यवहारसुगढ़ता, संस्कारक्षम व पारमार्थिक पुस्तकों का प्रकाशन हमेशा होता रहेगा।

यहां देश भर के महापुरुषों की जीवनी, उनकी शिक्षा, उनके दर्शन की पुस्तकों, उत्तम आध्यात्मिक, साधनात्मक, ज्ञान-योग संबंधी ग्रंथों वाला विशाल पुस्तकालय होगा। आनेवालों को जानकारी देने के लिए कार्यालय भी होगा।

दूसरे तल में विशाल सत्संग भवन बना है, जहां अनेक अवसरों पर गुरुमां ज्ञान तथा अन्य महान लोगों द्वारा लोककल्याण के लिए उपदेश दिया जाता है।

यह विशाल सत्संग भवन अनेक विशेषताओं वाला एक सुन्दर दर्शनीय स्थल है। इसके प्रत्येक स्तम्भों-पीलर में मार्बल पत्थर पर सदगुरु कबीर की महत्वपूर्ण साखियां लिखी हुई है, जो प्रेरणादायी के साथ मनोहारी भी हैं। इसकी दीवालों में लगाने के लिए सदगुरु कबीर, सदगुरु मां और उनके पूज्य गुरुदेव के जीवन की विशेष घटनाओं से संबधित तथा समाज को अच्छी शिक्षा देनेवाले सुन्दर-सुन्दर म्यूरल बन रहे हैं। यह सत्संग भवन बड़े-बड़े वातायनों वाला हजारों हजार लोगों के बैठने लायक है।

तीसरे तल में इसमें सदगुरु कबीर साहब से प्रभावित महान संतों और भक्तों की मार्बल से बनी मूर्तियां भी समाज को उनके संदेशों के साथ स्थापित की जाएंगी। इसके सभी स्तंभ-पीलर भी मार्बल पत्थरों में सदगुरु कबीर की साखियां एवं मां ज्ञान के अनमोल भजनों-पदों तथा अमूल्य ज्ञाननिधियों से अलंकृत हैं। इस क्षेत्र में बैठकर सत्संग भवन के कार्यक्रमों का बखूबी अवलोकन किया जा सकेगा।

इसकी चतुर्थं तल में श्री कबीर ज्ञान मंदिर के नियमों-सिद्वांतों पर दृढ़ व समर्पित भक्तों-शिष्यों के आवास की व्यवस्था है, जो विभिन्न नियमों के तहत यहां रहकर आध्यात्मिक शांति-लाभ ले सकेंगे।

अध्यात्म आकाश नामक इसकी पांचवे तल पर विशाल छत आकाश का चंदोवा ताने खड़ा है, जहां से एक ओर समस्त नगरी के लोक व्यवहार का साक्षी हुआ जा सकता है, वहीं दूसरी ओर गहन नीरव ध्यान में डुबकी लगा मन का साक्षी बन अध्यात्म की उत्तुंग ऊंचाइयों पर आसीन हुआ जा सकता है।

स्थापना व विकास

सन्‌ १९८५ ई. में स्थापना के पश्चात्‌ अल्पकाल्प में ही अति द्रुतगति से यह सतत विकासशील और वर्द्धमान है। आशा है कि निकट भविष्य में ही यह विश्वाकाश में उत्कृष्ट दर्शनीय स्थल व जीवंत-जाग्रत सक्रिय तीर्थभूमि, सिद्धस्थल लोकोपयोगी प्रकाशन केंद्र, समाज सुधारक, जीवनोत्थानक आत्मकल्याणकारी संस्थान बनकर उभरेगा।

अवस्थिति

यह गिरिडीहके छो किलोमीटर पर अवस्थित है। मानचित्र पर देखें।

आस्था का कारण

श्री कबीर ज्ञान मंदिर के तीर्थत्व, बढ़ती ख्याति, दर्शनीयता, लोगों की विराट आस्था के पीछे जबरदस्त कारण सदगुरु मां ज्ञान हैं। जिनकी लेखनी, ज्ञान, व्यक्तित्व, अध्यात्म, समता, करुणा, जन-जन को सुखी, शांत करने की तीव्र लालसा, लोगों के प्रति अहैतुकी निष्काम प्रेम एवं जिनका सुलझा, सरल, सशक्त

दृष्टिकोण है, जो लोगों को सहज ही अपना बना लेती है तथा अंतरात्मा को सहज ही संतुष्टि, तृप्ति, शांति, प्रसन्नता का बोध करा देती है। भारत ही नहीं, विदेशों में भी इनकी पुस्तकें एवं विविध ज्ञान सम्पन्न इनकी पत्रिका जन-जन की हृदयहार बनी हुई है। सदगुरु मां ज्ञान एक संत ही नहीं, सदगुरु भी हैं।

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