माइटोकांड्रिया की रचना एवं कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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क्रस्टी के कारण माइटोकॉन्ड्रिया की गोलाकार, नग्न होता है। इसमें G+C की मात्रा A+T की तुलना में अधिक होती है। माइटोकॉन्ड्रिया में अपने समान नये माइटोकॉन्ड्रिया बनाने अर्थात स्वत: जनन की क्षमता होती है। यह क्षमता केवल कोशिकाद्रव्य के अन्दर रहकर ही है।
माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य (Functions of Ribosome)
इसमें कोशकीय श्वसन (Cellular respiration) होता है। इसमें एटीपी का संश्लेषण (ATP production), एटीपी का भंडारण (ATP storage) और परिवहन (transport) होता है। ये तीनों कार्य माइटोकॉन्ड्रिया में होने के कारण इसको कोशिका का शक्ति गृह (Power house of the cell) कहा जाता है।
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माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना -
- माइटोकॉन्ड्रिया में एक आंतरिक और बाहरी झिल्ली होती है, जिसके बीच एक इंटरमेम्ब्रेन स्पेस होता है।
- बाहरी झिल्ली में पोरिन नामक प्रोटीन होता है, जो आयनों को माइटोकॉन्ड्रिया में और बाहर जाने की अनुमति देता है।
- माइटोकॉन्ड्रियन की आंतरिक झिल्ली के भीतर के स्थान को मैट्रिक्स के रूप में जाना जाता है, जिसमें डीएनए, आरएनए, राइबोसोम और कैल्शियम ग्रैन्यूल के साथ क्रेब्स (टीसीए) और फैटी एसिड चक्र के एंजाइम होते हैं।
- आंतरिक झिल्ली में विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं। इसमें एटीपी सिंथेज़ होता है जो मैट्रिक्स में एटीपी उत्पन्न करता है |
माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य -
- माइटोकॉन्ड्रिया का प्राथमिक कार्य ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करना है।
- इसके अलावा, यह कोशिका की चयापचय गतिविधि को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है। यह कोशिका गुणन और कोशिका वृद्धि को भी बढ़ावा देता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया लीवर की कोशिकाओं में अमोनिया को भी डिटॉक्स करता है।
- इसके अलावा, यह एपोप्टोसिस या क्रमादेशित कोशिका मृत्यु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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